फिर बसाया बहू का उजड़ा संसार
बिलासपुर के सुखदेव ने पुत्रवधू का कन्यादान कर पेश की मिसाल
घुमारवीं — हाथों की मेहंदी अभी सूखी भी नहीं थी कि बहू का संसार उजड़ गया। बेटे की मौत का सदमा भी कम नहीं था, लेकिन बहू की पीड़ा भी नहीं देखी जा रही थी। इसी कारण सास-ससुर ने बहू को बेटी मानकर उसका कन्यादान कर दिया। यह दास्तां बिलासपुर जिला के कुलवाड़ी गांव के एचआरटीसी से सेवानिवृत्त सुखदेव की है। उन्होंने बहू का कन्यादान करके समाज में अनूठी मिसाल पेश की है। जानकारी के अनुसार बिलासपुर जिला की मैहरी काथला पंचायत के गांव कुलवाड़ी के सुखदेव ने अपनी बहू की बेटी की तरह शादी करवाई। ऊना में सुखदेव ने अपनी बहू को उसके जीवन साथी के साथ विदा किया। विदित रहे कि कुलवाड़ी गांव के एचआरटीसी से सेवानिवृत्त सुखदेव के बेटे की मार्च, 2012 में हार्ट अटैक से मौत हो गई थी। उस समय उनके बेटे की शादी को करीब 10 माह ही हुए थे। उनका बेटा अरुण व बहू अनु बाला मई, 2011 में परिणय सूत्र में बंधे थे। दोनों चंडीगढ़ में नौकरी करते थे। बेटे की मौत के सदमे में डूबे सुखदेव ने अपने दुख से ज्यादा बहू के भविष्य को संवारने की ठानी। सुखदेव बहू के लिए अच्छे जीवन साथी की तलाश करते रहे। उन्होंने मन बना लिया था कि वे बहू का पुनर्विवाह करेंगे। आखिरकार ऊना में उन्हें बहू के लिए अनिल नाम का जीवनसाथी मिल गया। अनिल कुमार वर्तमान में एयरफोर्स में है। ऊना में ही अनिल का घर है। मरवाड़ी रायपुर ऊना में अनु के मायके हैं। होटल में इन दोनों की शादी संपन्न हुई। सास-ससुर ने वहां पहुंचकर बहू को बेटी मानकर कन्यादान किया।
बेटी समान दिया स्नेह
बिलासपुर के सुखदेव व उनकी पत्नी लैचो देवी ने बताया कि उनके बेटे की 2012 में हार्ट अटैक से मौत हो गई थी। उस समय उनकी शादी को महज 10 माह ही हुए थे। उन्होंने बहू का दोबारा घर-संसार बसाने बनाने की ठान ली। उनकी बहू अनु बाला दूसरी शादी को इनकार करती थी, लेकिन सास-ससुर की खुशी के लिए उसने शादी के लिए हां कर दी। इसके बाद रीति-रिवाजों के साथ बेटी रूपी बहू का कन्यादान कर उसे विदा किया।
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