अरब में अनोखी आजादी

महिलाओं को वाहन चलाने का अधिकार न देने के कारण सऊदी अरब की पूरी दुनिया में लंबे समय से किरकिरी होती रही है। इस स्थिति को सऊदी अरब के पितृसत्तात्मक ढांचे तथा सामाजिक पिछड़ेपन के प्रतीक के रूप में पेश किया जाता था….

सऊदी अरब में अंततः महिलाओं को वाहन चलाने की इजाजत मिल गई है। महिलाओं को वाहन चलाने का अधिकार न देने के कारण सऊदी अरब की पूरी दुनिया में लंबे समय से किरकिरी होती रही है। इस स्थिति को सऊदी अरब के पितृसत्तात्मक ढांचे तथा सामाजिक पिछड़ेपन के प्रतीक के रूप में पेश किया जाता था। संभवतः देश की इस छवि को बदलने के लिए ही सऊदी अरब के शाह सलमान बिन अब्दुल अजीज अल सऊद ने एक शाही फरमान जारी करते हुए महिलाओं को देश में वाहन चलाने की इजाजत दी। हालांकि, यह निर्णय तत्काल लागू नहीं किया जाएगा क्योंकि देश में महिलाओं के लिए ड्राइविंग सीखने या ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त करने के लिए कोई बुनियादी ढांचा नहीं है।

इसके लिए पुलिस को भी प्रशिक्षित किया जाएगा क्योंकि अभी तक यहां पर अनजान महिला-पुरुष की बातचीत को आपराधिक दृष्टि से देखा जाता रहा है। गौरतलब है कि यहां पर महिलाओं को घर से बाहर जाने के लिए बाप, पति, भाई (चाहे छोटा ही क्यों न हो) या फिर बेटे को साथ लेकर जाना अनिवार्य है क्योंकि वहां का कानून कहता है कि महिला को बिना किसी पुरुष के घर की दहलीज नहीं लांघनी चाहिए। सऊदी मौलवी महिलाओं के ड्राइविंग करने पर प्रतिबंध लगाने के लिए कई कारण गिनाते रहे हैं, जिनमें से एक में दावा किया जाता रहा है कि ड्राइविंग से महिलाओं के अंडाशय को नुकसान पहुंचता है।

इस प्रतिबंध को रद्द करने के लिए विभिन्न अधिकार संगठनों ने लंबे समय तक अभियान चलाया, जिस दौरान ड्राइविंग करने को लेकर कई महिलाओं को गिरफ्तार किया गया और जेल भेज दिया गया। ऐसा माना जा रहा है कि यह निर्णय सऊदी अरब की बिगड़ती अर्थव्यवस्था में नई जान फूंकने के लिए भी उठाया गया है। तेल की कम कीमतों ने सरकारी नौकरियों को सीमित कर दिया है, जिस पर कई सऊदी लंबे समय से निर्भर रहे हैं। अब देश महिलाओं सहित ज्यादा से ज्यादा नागरिकों को लाभकारी रोजगार देने की कोशिश कर रहा है। ऐसे में महिलाओं को चालक बनने के अधिकार को उन्हें अर्थव्यवस्था में शामिल करने के एक शुरुआती कदम के रूप में देखा जा रहा है।