आईपीएस बनकर सच किया सपना

एनकाउंटर स्पेशलिस्ट राजबीर की राह पर बेटा 

24 मार्च, 2008 की शाम को दिल्ली पुलिस के एनकाउंटर स्पेशलिस्ट एसीपी राजबीर सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी गई। उनकी मौत दिल्ली पुलिस के लिए जबरदस्त झटका थी। देश के आठ सबसे चर्चित एनकाउंटर स्पेशलिस्ट में शुमार रहे एसीपी राजबीर ने बेहद कम वक्त में शोहरत की बुलंदियों को हासिल किया। दिल्ली पुलिस के इतिहास में राजबीर का नाम एक ऐसी शख्सियत के तौर याद किया जाता है, जो भर्ती तो सब इंस्पेक्टर के पद पर हुए, मगर अपनी जाबांजी के दम पर महज 13 साल में प्रोमोट होकर एसीपी बन गए। एसीपी पद के जिस छोर पर राजबीर अचानक अलविदा कह गए, ठीक नौ साल बाद उसी मोड़ से उनके बेटे रोहित ने कमान संभाली है। वह दिल्ली पुलिस में ही आईपीएस बने हैं। रोहित ने बताया कि पिता के बाद खुद को बहुत अकेला महसूस करने लगा था। उनका सपना था कि मैं आईपीएस बनूं। डीपीएस आरके पुरम से पढ़ाई करने के बाद दिल्ली टेक्निकल यूनिवर्सिटी से 2013 में मैकेनिकल इंजीनियरिंग पूरी की। आईपीएस की हैदराबाद ट्रेनिंग के बाद लौटा तो पहली पोस्टिंग मुझे पटेल नगर में मिली। पांच सितंबर को पटेल नगर में आईपीएस बना। मेरा अधिक फोकस महिलाओं से होने वाले अपराधों पर है। उसके बाद स्ट्रीट क्राइम को रोकना है। एसीपी बनने के बाद पिछले एक महीने में तीन जघन्य अपराध के केस डिटेक्ट कर लिए हैं।