ऊना सदर की सत्ता को सतपालों में सियासी जंग

ऊना – प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतपाल सिंह सत्ती लगातार चौथी दफा ऊना सदर विस क्षेत्र से चुनावी रण में उतरे हैं। इस बार भी उनका मुख्य मुकाबला कांग्रेस प्रत्याशी सतपाल रायजादा से है, जबकि ऊना सदर विस क्षेत्र से पूर्व विधायक स्व. वीरेंद्र गौतम के बड़े पुत्र एडवोकेट राजीव गौतम ने लगातार दूसरी बार पार्टी टिकट से वंचित किए जाने पर कांग्रेस पार्टी से बगावत करते हुए आजाद प्रत्याशी के रूप में ताल ठोंक दी है। ऊना सदर विस क्षेत्र से बसपा प्रत्याशी रवि कुमार व आजाद प्रत्याशी गुलजार सिंह भी मैदान में हैं। प्रदेश में सबसे लंबे समय तक भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष के रूप में कार्य करने का गौरव हासिल करने वाले सतपाल सिंह सत्ती के ऊना सदर विस क्षेत्र से चुनाव लड़ने से यह क्षेत्र प्रदेश की वीआईपी सीट बन गई है। सतपाल सिंह सत्ती ने अभी तक इस क्षेत्र से तीन विधानसभा चुनाव लड़े हैं तथा तीनों ही चुनावों में जीत का स्वाद चखा है। छात्र राजनीति से सक्रिय राजनीति में प्रवेश करके 2003 में पहली दफा विधानसभा चुनाव लड़ते हुए सतपाल सिंह सत्ती ने उस समय के दिग्गज नेता व कांगड़ा बैंक के पूर्व चेयरमैन वीरेंद्र गौतम को एक बहुत ही कड़े मुकाबले में मात्र 51 मतों से पराजित कर पहली बार विधानसभा में प्रवेश किया था। इसके बाद सतपाल सत्ती ने क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत बनाते हुए 2007 में दूसरा चुनाव भी कांग्रेस प्रत्याशी वीरेंद्र गौतम के विरुद्ध लड़ा तथा एक तिकोने मुकाबले में वीरेंद्र गौतम को 11852 मतों से पराजित किया। 2012 में कांग्रेस ने ऊना सदर विस क्षेत्र से युवा चेहरे के रूप में सतपाल रायजादा को मैदान में उतारा, लेकिन भाजपा नेता सतपाल सिंह सत्ती ने उन्हें 4746 मतों से पराजित कर लगातार तीसरी जीत दर्ज की। सतपाल सिंह सत्ती पूर्व धूमल सरकार में सीपीएस रह चुके हैं। वहीं 2012 में वह सीपीएस पद से त्याग पत्र देकर भाजपा प्रदेशाध्यक्ष बने सतपाल सिंह सत्ती के लिए अपना किला बचाना बड़ी चुनौती होगी।  वही, इस बार सतपाल सत्ती को कांग्रेस प्रत्याशी सतपाल रायजादा से कड़ी चुनौती मिल रही है।

भाजपा-कांग्रेस में रहा मुकाबला

पिछले 11 विस चुनावों में भाजपा ने पांच, तो कांग्रेस ने चार बार जीत दर्ज की। वहीं एक बार जनता पार्टी व एक बार आजाद प्रत्याशियों ने जीत का स्वाद चखा। पूर्व मंत्री ठाकुर देसराज दो बार भाजपा व एक बार जनता पार्टी की टिकट पर विजयी रहे। प्रदेश भाजपाध्यक्ष सतपाल सिंह सत्ती लगातार तीन बार विधायक बने। मास्टर प्रकाश चंद 1967 में आजाद व 1972 में कांग्रेस टिकट पर चुनाव लड़कर विधायक बने। कांगड़ा बैंक के पूर्व अध्यक्ष वीरेंद्र गौतम 1985 व 1998 में कांग्रेस की तरफ से दो बार तथा 1993 में ओपी रतन कांग्रेस टिकट से ऊना सदर विस क्षेत्र के विधायक बने।