एम्स की साइट देखने दिल्ली से पहुंचे नड्डा

बिलासपुर —  बिलासपुर के कोठीपुरा में बनने जा रहे उत्तर भारत के पहले एक अलग तरह के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान स्वास्थ्य संस्थान (एम्स) का निर्माण कार्य शुरू करने की राह में पेश आ रही 50 एकड़ जमीन की एनओसी की बाधा राज्य सरकार के साथ बातचीत कर हल की जाएगी। इस बाबत फाइल तैयार कर ली गई है। दिल्ली जाकर स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों के साथ बैठक कर अगली कार्रवाई शुरू की जाएगी। फोरेस्ट क्लीयरेंस के लिए फाइल जल्द से जल्द राज्य सरकार की अप्रूवल के लिए भेजी जाएगी। इस बाबत राज्य सरकार का रुख भी सकारात्मक है। सोमवार को दिल्ली से सीधे कोठीपुरा में एम्स की साइट विजिट के लिए पहुंचे केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जगतप्रकाश नड्डा ने यह खुलासा किया है। उन्होंने बताया कि हालांकि बिलासपुर आने का मकसद एम्स के लिए चयनित साइट विजिट का था ,क्योंकि उन्होंने अभी तक यह जमीन देखी नहीं थी। उन्होंने बताया कि एम्स देश में अपनी तरह का पहला सबसे बड़ा स्वास्थ्य संस्थान बनेगा, जिसके निर्माण कार्य के लिए इंटरनेशनल बिडिंग की जाएगी। उन्होंने बताया कि एम्स निर्माण कार्य के लिए 205 एकड़ जमीन चयनित की गई है ,जिसके तहत राजस्व और पशुपालन विभागों की जमीन स्वास्थ्य विभाग के नाम स्थानांतरित हो चुकी है, जबकि अब लगभग 50 एकड़ वन विभाग की जमीन की एनओसी ली जानी है, जिसके लिए प्रोसेस चल रहा है। उन्होंने बताया कि निर्माण कार्य शुरू करने के लिए इस जमीन की फोरेस्ट क्लीयरेंस जरूरी है, जिसके लिए जल्द ही राज्य सरकार से बातचीत की जाएगी। फोरेस्ट क्लीयरेंस को लेकर फाइल तैयार है और दिल्ली जाते ही स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों के साथ बैठक कर इस फाइल को राज्य सरकार की अप्रूवल के लिए भिजवाया जाएगा। उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता जाहिर की कि राज्य की कांग्रेस सरकार भी एम्स निर्माण कार्य को लेकर गंभीर है और सकारात्मक रुख के चलते जल्द ही एम्स का काम शुरू करवाया जाएगा। उन्होंने बताया कि शुरुआती वर्ष में मॉर्डन प्लानिंग के साथ-साथ डिजाइन तैयार करने के लिए प्रोसेस को पूरा किया जाएगा, जिसके लिए इंटरनेशनल बिडिंग की जाएगी। दूसरे साल सभी तय औपचारिकताएं पूरी होने के बाद निर्माण कार्य की कवायद शुरू की जाएगी। इस कार्य को पूरा करने के लिए 48 हफ्ते की समय सीमा तय की गई है। जैसे जैसे आधारभूत ढांचा बनता जाएगा तो मेडिकल फेसिलिटीज आरंभ की जाती रहेंगी,जिससे लोगों को भी समय-समय पर यहां पर एम्स का लाभ मिलता रहेगा।

सुविधाओं पर 500 करोड़ से ज्यादा होंगे खर्च

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि जब बड़ा संस्थान बन जाता है, तो आगे चलकर सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए कम से कम 500 करोड़ रुपए और खर्च किए जाएंगे। उदाहरण के तौर पर पीजीआई चंडीगढ़ में हाल ही में न्यूरो साइंस की आधुनिक सुविधाओं के लिए एक हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है, जबकि सेटेलाइट सेंटर के लिए 320 करोड़ रुपए उपलब्ध कराए गए हैं। ऐसे ही एम्स का काम पूरा होने के बाद भी कई अन्य नई सुविधाएं आगे चलकर जुड़ती रहेंगी।