कांग्रेस के गढ़ में हरिनारायण ने खिलाया था कमल

नालागढ़ में छह बार कांग्रेस-चार बार भाजपा की जीत, राजा विजयेंद्र-केएल ठाकुर सबसे ज्यादा वोट से बने विधायक

बीबीएन— हिमाचल के गठन के बाद वर्ष 1967 में अस्तित्व में आए नालागढ़ विधानसभा क्षेत्र को अकसर कांग्रेस का गढ़ माना जाता रहा है, लेकिन वर्ष 1998 में भाजपा के टिकट पर चुनाव जीत कर हरिनारायण सैणी ने इस हलके में पहली बार कमल खिलाया। सैणी ने इस हलके से जीत की हैट्रिक लगाई, लेकिन उनके निधन के बाद उपचुनाव में कांग्रेस ने हरिनारायण सैणी की धर्मपत्नी को हराकर वापसी तो की, लेकिन कांग्रेस इस लय को बरकरार नहीं रख सकी और वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से भाजपा ने एक बार फिर इस सीट को बड़े अंतर से जीतकर अपने नाम कर लिया। 1967 से 2012 तक के सियासी सफर में यहां छह बार कांग्रेस व चार बार भाजपा ने जीत दर्ज की है। इसके अलावा एक बार आजाद व एक बार जनता पार्टी भी जीत दर्ज कर चुकी है। नालागढ़ हलके से वर्ष 1967 में बतौर आजाद प्रत्याशी जीत दर्ज करते हुए अर्जुन सिंह गोरखा पहली बार विधायक बने, उन्होंने वर्ष 1972 का चुनाव कांग्रेस टिकट पर जीता, लेकिन 1977 में जनता पार्टी की लहर में राजा विजयेंद्र सिंह ने उन्हें हरा दिया। राजा विजयेंद्र सिंह ने 1977 में जनता पार्टी की टिकट पर चुनाव लड़ने के बाद वर्ष 1982, 1985, 1990 व 1993 में बतौर कांग्रेस प्रत्याशी जीत दर्ज की। वह कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में स्वास्थ्य मंत्री भी रहे। 1998 के चुनाव में राजा विजयेंद्र सिंह को भाजपा से टिकट मिलने के बाद हरिनारायण सैणी ने हराकर पहली बार नालागढ़ में कमल खिलाया था। कांग्रेस का अभेद्व दुर्ग कहे जाने वाले नालागढ़ हलके में हरिनारायण सैणी ने ऐसी सेंध लगाई थी कि कांग्रेस के लिए यहां जीत की दहलीज पार करना नामुमकिन हो गया था। हरिनारायण सैणी ने वर्ष 2003 व 2007 में भी शानदार जीत दर्ज की और इस हलके को भाजपा का गढ़ बना दिया, लेकिन वर्ष 2011 में हरिनारायण के देहांत के बाद हुए उपचुनाव में कांग्रेस बाजी मारने में कामयाब रही। उपचुनाव में जनता ने संवेदनाओं को दरकिनार कर कांग्रेस के प्रत्याशी लखविंदर राणा को विधानसभा पहुंचाया। लखविंदर राणा जीत को लंबे समय तक कायम नहीं रख सके और करीब एक साल के बाद हुए चुनावों में सरकारी नौकरी छोड़कर राजनीति में पर्दापण करने वाले नए चेहरे भाजपा प्रत्याशी केएल ठाकुर से बड़े अंतर से हार गए। कांगे्रस ने इस हलके से सबसे बड़ी जीत वर्ष 1985 में करीब 17047 वोटों के भारी अंतर से दर्ज की थी। राजा विजयेंद्र सिंह सबसे ज्यादा पांच बार नालागढ़ से विधायक चुने गए ,जबकि स्व. हरिनारायण सैणी तीन बार विधायक रहे। हरिनारायण सैणी द्वारा हलके में भाजपा की जड़ें मजबूत किए जाने का फायदा वर्ष 2012 में सरकारी नौकरी छोड़कर राजनीति में आए विधायक केएल ठाकुर को बखूबी मिला।

यह है सियासी इतिहास

वर्ष        विधायक  पार्टी

1967      अर्जुन सिंह गोरखा    आजाद

1972      अर्जुन सिंह गोरखा    कांग्रेस

1977      राजा विजयेंद्र सिंह    जनता पार्टी

1982      राजा विजयेंद्र सिंह    कांग्रेस

1985      राजा विजयेंद्र सिंह    कांग्रेस

1990     राजा विजयेंद्र सिंह    कांग्रेस

1993      राजा विजयेंद्र सिंह    कांग्रेस

1998      हरिनारायण सैणी     भाजपा

2003      हरिनारायण सैणी     भाजपा

2007      हरिनारायण सैणी     भाजपा

2011      (उपचुनाव) लखविंदर कांग्रेस

2012     केएल ठाकुर  भाजपा