कुछ नेताओं ने बिगाड़ दिया है सियासी माहौल

दुश्वार होती राजनीति पर बोले सोहन लाल ठाकुर

 सुंदरनगर — वर्तमान राजनीति में नेताओं की छवि खराब हो गई है, जिससे सियासी माहौल बिगड़ गया है। सुंदरनगर के विधायक सोहन लाल ठाकुर का मानना है कि लोग अपेक्षा ज्यादा रखते हैं। पहले लोग धीरज और विश्वास रखते थे, लेकिन अब लोग तुरंत परिणाम चाहते हैं। अब राजनीति में जनता व्यक्तिगत काम को ज्यादा तवज्जो दे रही है। निजी काम राजनेता न करें तो बाकी विकास कार्य भी गौण माने जाते हैं। वर्तमान की राजनीति में काम करना मुश्किल भरा है। पहले लोग सवाल-जवाब नहीं पूछते थे, लेकिन अब जवाबदेही तय हुई है। सही उद्देश्य राजनीति से हासिल करना कठिन है। व्यक्ति में काबिलीयत है तो प्रभाव भी पड़ता है। राजनीति में आने का मुख्य उद्देश्य है विकास करवाना। जनता को विकास का पैमाना सामने रख मत का प्रयोग करना चाहिए। सोहन लाल कहते हैं कि निजी काम न होने से लोग भले ही निराश हो जाते हैं, लेकिन न तो मैंने ऐसे लोगों को निराश लौटाया और  न ही ऐसे ज्यादा कामों को तवज्जो दी है। कई बार लोग ऐसे काम लेकर आ जाते हैं, जिनको कर पाने में कई अड़चने खड़ी हो जाती हैं। अगर ऐसे लोग निराश हों तो मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। दुर्गम पंचायतों को सड़क, बिजली, पेजयल, स्वास्थ्य सुविधाओं से जोड़कर काफी राहत महसूस करता हूं। सोहन लाल ने कहा कि प्रदेश में भले ही बदलाव की राजनीति की परंपरा रही हो, लेकिन इस बार आम जनता को सही नेतृत्व वाले नेता का चुनाव करना चाहिए। जहां कांग्रेस सरकार ने प्रदेश में हर वर्ग, हर समुदाय व क्षेत्र में चहुंमुखी विकास किया है। बेरोजगारों को सरकारी क्षेत्र में रिकार्ड तोड़ नौकरियों के अवसर दिए हैं। कर्मचारियों की मांगों को हर मोर्चे पर पूरा किया है। पेंशनरों के हित में समय-समय पर मांगों को पूरा किया है। उन्होंने कहा कि वह हर व्यक्ति के सुख-दुख में बराबर शामिल होते रहते हैं। वोट बैंक की राजनीति पर सोहन लाल कहते हैं कि नेता ईमानदार और निष्ठावान होकर सही रास्ते पर चलता है तो उसके लिए वोट बैंक की कठिनाई नहीं आती।

वोट बैंक की कठिनाइयां

सोहन लाल का कहना है कि आज का मतदाता सही और स्वच्छ छवि वाला राजनेता चाहता है, लेकिन राजनीति में कुछ नेताओं की वजह से राजनीतिक माहौल खराब हो गया है, जिसका खामियाजा सबको भुगतान पड़ रहा है। मतदाता जागरूक है और आधुनिक तकनीक के साथ हर काम का हिसाब मांगने के लिए तत्पर रहता है। नेतागण जनता को यूं ही बातों में नहीं घुमा सकते। पहले का दौर गया, अब मतदाता हिसाब मांगता है,  जिसने विकास करवाया है, उसे वोट बैंक की राजनीति का डर नहीं होता है।

नेताओं को बदलनी होगी सोच

बदलते परिवेश में राजनीति का माहौल भी बदला है, अब डराने-धमकाने वाली राजनीति नहीं चलती है। बदले की भावना से काम करने वाली राजनीति का दौर चला गया है। जनता ऐसे नेताओं को स्वीकार नहीं करती है और ऐसे नेता ज्यादा समय तक टिकते भी नहीं हैं। बदलते परिवेश के साथ नेताओं को भी बदलना होगा और सोच में बदलाव लाना होगा।