कुल्लू में आस्था का महाकुंभ

स्वर्ग से उतरे देवी-देवता

कुल्लू — चारों ओर देवी-देवताओं के भव्य मिलन से शनिवार को कुल्लू का ढालपुर मैदान स्वर्ग बन गया।  करनाल, ढोल-नगाड़ों, नरसिंगों, शहनाई और करनाल की स्वरलहरियों से ढालपुर पूरी तरह से गूंज उठा है। देव-मानव के इस अद्भुत दृश्य का माहौल शनिवार कुल्लू में देखने को मिला। देवी-देवताओं के भव्य मिलन से यहां ऐसा प्रतीक हो रहा था कि मानों जैसे स्वर्ण से देवी-देवता धरती पर उतर आए हों। शनिवार से कुल्लू में अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव शुरू हो गया है। 30 सितंबर से छह अक्तूबर तक कुल्लू में सात दिनों तक अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव धूमधाम से मनाया जाएगा। इन सातों दिनों कुल्लू का ढालपुर देवी-देवताओं के भव्य मिलन और वांद्य यंत्रों से गूंजता रहेगा।  अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव के दौरान जिला भर से आए करीब 300 से अधिक देवी-देवता ढालपुर में सात दिनों तक अपने अस्थायी शिविरों में विराजमान होंगे। इन सातों दिनों देवी-देवताओं के शिविरों में भक्तों का तांता सुबह से शाम तक लगा रहेगा। शनिवार को दिनभर जिला भर से देवी-देवताओं का दशहरे में आना लगा रहा। रास्ते में जगह-जगह देवी-देवता मिलन करते रहे।

शृंगा ऋषि और बालूनाग के साथ मौजूद रही पुलिस

बंजार घाटी के देवता शृंगाऋषि और बालूनाग देवता ने जैसे कुल्लू में प्रवेश किया तो दोनों देवताओं के साथ पुलिस तैनात रही। ढालपुर से दोनों देवता सुल्तानपुर में भगवान रघुनाथ से मिलने गए तो इस दौरान देवताओं के साथ पुलिस साथ रही। दोनों देवता अलग-अगल समय में सुल्तानपुर पहुंचे,जिससे शांति बनी रही।

देव दड़च से की पूजा

बेड़ में जैसे ही देवी-देवताओं ने रथ में विराजमान होकर प्रवेश किया तो इसके बाद सबसे पहले देवी-देवताओं के पुजारी-गूरों ने मुख्य द्वार की देव दड़च के साथ पूजा-अर्चना की। इसके बाद राज परिवार के सदस्य हितेश्वर सिंह ने देवता के रथ में जौरे फूल लगाकर स्वागत किया।

 देव धुनों से गूंज उठा ढालपुर मैदान

शनिवार को जब देवी-देवता चारों तरफ से ढालपुर में पहुंचे तो देवधुनों की मधुर आवाज से माहौल भक्तिमय हुआ। ढोल-नगाड़े, नरसिंगे, करनाल, शहनाई, जांझे, देव घंटियां एक साथ बजीं तो ढालपुर देवलोक में बदल गया हर कोई देवधुनें सुनने में मग्न हो गए।

देव पगड़ी के लिए लगीं लाइनें

सुल्तानपुर में भगवान रघुनाथ की ओर से रघुनाथ के कारकूनों ने सभी देवी-देवताओं के श्रद्धालुओं को देव पगडि़यां दीं। देव पगड़ी के लिए श्रद्धालुओं का तांता भी लगा। देव पगड़ी पहनने से शरीर में शांति मिलती है।

मां हिडिंबा के पहुंचते ही कैमरे बंद

कुल्लू — अद्भुत एवं अनूठे देवसमागम कुल्लू में जैसे ही राजपरिवार की कुलदेवी माता हिडिंबा भगवान रघुनाथ से मिलने रघुनाथपुर पहुंची ती हर कैमरे और मोबाइलों पर कुछ देर पाबंदी लगी।  हालांकि इससे पहले मीडिया, शोधार्थी और अन्य श्रद्धालु जमकर वीडियो और फोटोग्राफी कर रहे थे, लेकिन माता हिडिंबा आते ही भगवान रघुनाथ मंदिर के प्रवेशद्वार (परोउई) में कुछ देर फोटो खिंचने पर पाबंदी लगी और सभी ने पालना की।  इसके बाद जैसे ही माता राजारूपी पैलेस की ओर निकलीं तो फिर फोटोग्राफी शुरू हुई। इसके बाद फोटोग्राफी पर पाबंदी नहीं लगी। भगवान रघुनाथ के प्रवेशद्वार पर माता ने अपने गूर (चेला) के माध्यम से गुरबाणी में सुख-समृद्धि की भी भविष्यवाणी की और सभी श्रद्धालुओं ने जयजयकार की। इससे पहले राजपरिवार माता के स्वागत के लिए रामशिला गए और परंपरा अनुसार माता को सुल्तानपुर पहुंचाया। कारकूनों के मुताबिक माता हिडिंबा राजपरिवार की कुलदेवी है। माता के  कुल्लू पहुंचने के बाद ही दशहरा उत्सव का आगाज होता है। देव रिवायत पूरी होने के बाद भगवान रघुनाथ अपने लावलश्कर के साथ ढालपुर रवाना हुए। वहीं, जब माता बेडे़ में पहुंची तो राजपरिवार ने रथ को कंधे पर उठाकर परंपरा निभाई।