गैर मुआफीदार देवी-देवता पूजन को मिलेंगे 12 हजार

By: Oct 7th, 2017 12:40 am

NEWSकुल्लू— देवभूमि कुल्लू के गैर मुआफीदार देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना का खर्र्च अब कारकूनों को नहीं उठाना होगा, बल्कि इसके लिए पैसा सरकार देगी। हालांकि मुआफीदार देवी-देवताओं को पहले से ही देव संस्कृति के संरक्षण और संवर्द्धन के साथ-साथ पूजा-पाठ के लिए धनराशि मिल रही थी, लेकिन गैर मुआफीदार देवी-देवताओं की पूजा-पाठ में लगने वाली सामग्री का खर्च हारियान उठा रहे थे। इस बार मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने गैर मुआफीदार देवी-देवताओं की पूजा-पाठ का भी ध्यान रखा है। यह घोषणा मुख्यमंत्री ने अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव का समापन करते हुए ऐतिहासिक लाल चंद प्रार्थी कलाकेंद्र में की। बता दें कि गैर मुआफीदार देवी-देवताओं की पूजा-पाठ के लिए प्रतिमाह एक हजार रुपए मिलेंगे और साल में 12 हजार रुपए सरकार प्रति देवता को पूजा-पाठ के लिए देगी। यह पैसा केवन प्राचीन देवी-देवताओं को ही मिलेगा। इसके अलावा मुख्यमंत्री ने अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव में विराजमान होने वाले सभी देवी-देवताओं की नजराना राशि में भी छह प्रतिशत बढ़ोतरी की है। दरअसल शिमला में हुई अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव की बैठक में पांच प्रतिशत नजराना राशि बढ़ाई गई थी। वहीं, दशहरा उत्सव के विधिवत समापन पर मुख्यमंत्री ने नजराना एक प्रतिशत और बढ़ा दिया और कुल मिलाकर अब नजराना राशि छह प्रतिशत बढ़ेगी। गैर मुआफीदार देवी-देवताओं के हारियान पूजा के लिए प्रतिमाह हजार रुपए मिलने से गदगद हैं। यही नहीं, जब मुख्यमंत्री ने यह घोषणा की तो दर्शक दीर्घा और कलाकेंद्र के बाहर बैठे गैर मुआफीदार देवी-देवताओं के हारियानों ने उनका पूरे जोश से आभार जताया। बता दें कि देवभूमि कुल्लू में जितनी संख्या मुआफीदार देवी-देवताओं की है, उतनी ही संख्या गैर मुआफीदार देवी-देवताओं की है। हर मुआफीदार और बड़े देवताओं के साथ गैर मुआफीदार देवता चलता है। अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव यानी सबसे बड़े देव महामिलन में इस बार 240 से अधिक देवी-देवताओं ने भाग लिया। इनमें से 98 के आसपास गैर मुआफीदार देवी-देवता शामिल थे। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव में देवी-देवताओं की संख्या बढ़ना अच्छी बात है। दशहरा उत्सव का अध्याय देवी-देवताओं से जुड़ा है औद देवी-देवता ही दशहरा उत्सव की शोभा है। हालांकि उन्होंने कहा कि उत्सव में आने के लिए नए देवी-देवता न बनें। दशहरा उत्सव में पुराने देवी-देवता ही आएं।


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