बीबीएन में अढ़ाई लाख प्रवासियों के लिए साफ पानी तक मयस्सर नहीं
बेहद खास है यह उत्सव
दीपावली के छठे दिन आयोजित होने वाला छठ पूजन प्रवासी भारतीयों का सबसे बड़ा उत्सव है। इसे वर्ष में दो बार मनाया जाता है। महिलाएं साड़ी और पुरुष धोती के लिवास में पूजन संपन्न करते हैं। दीपावली के छठे दिन से पूजन शुरू होकर अगले चार दिन तक चलता है और तालाब व नदियों पर बने घाट पर जाकर सुर्य उपासना के साथ ही इस व्रत को पूरा किया जाता है। पहले दिन नहाय-खाय कार्यक्रम किया जाता है इसी दिन व्रत रखा जाता है, इसके अलगे दिन लोहंडा और खरना, तीसरे दिन संध्या अर्घ्य दिया जाता है और चौथे दिवस ऊषा अर्घ्य देकर व्रत को पूरा किया जाता है। भारी मात्रा में लोग एक घाट पर एकत्रित होकर नदी व तालाब में डुबकी लगाकर ढलते सूरज को अर्घ्य देकर व्रत को पूरा करते हैं।
कुछ ने जाना ठीक समझा
बिहार के गोविंद्र और सागरिया ने बताया कि वे करीब एक दशक से भूपनगर में पूजा का आयोजन करते हैं। पांच दिन पूर्व से वह साफ सफाई की व्यवस्था में जुट जाते हैं और फिर दीपावली के छठे दिन यहां हजारों की तादाद में लोग पूजा करने पहुंचते हैं। उन्होंने बताया कि गुरुवार को यहां भूपनगर से जितेंद्र छपरा निवासी बिहार, हरि मोहन दरभंगा बिहार, पिंटू सिंह, विजय, बृज किशोर यादव, चंदन, मनीष, सुरेश निवासी बिहार, श्याम किशोर, दिलमोहन बिहार, विनित यादव, अनिल कुमार गया, संतोष छप्परा बिहार, नागेंद्र छप्परा, चंदन उत्तर प्रदेश, नागेंद्र यादव उत्तर प्रदेश, सुभाष कुमार बिहार सहित हजारों प्रवासी लोगों ने छठ पूजा की। कई प्रवासी पूजा के लिए दूसरे राज्यों में जा चुके हैं।