जनता के निजी काम नेताओं के लिए टेंशन

मुश्किल होती सियासत पर बोले वीरेंद्र कंवर

बंगाणा—  मौजूदा परिवेश में राजनीति एक चुनौतीपूर्ण दायित्व हो गया है। मतदाताओं व समर्थकों की उम्मीदों पर खरा उतरने के लिए राजनेताओं को हर कुछ करना पड़ता है। मतदाता जहां शिक्षित व जागरूक हुआ है, वहीं अब राजनेताओं से लोगों की अपेक्षाएं भी बढ़ी हैं। बेशक इसके लिए राजनेता स्वयं ही कहीं न कहीं दोषी भी हैं। बेहतर गवर्नेंस, नियम व कानून की अनुपालना को सुनिश्चित बनाने के स्थान पर व्यक्तिगत मसलों को दलगत राजनीति के आधार पर सेटल करवाने की परिपाटी ऐसी पड़ी है कि अब यही कवायद राजनेताओं के लिए सिरदर्दी का आलम भी बन चुकी है। कुटलैहड़ विधानसभा क्षेत्र से लगातार तीन बार जीत दर्ज कर चुके भाजपा नेता वीरेंद्र कंवर का कहना है कि राजनीति में स्थापित होने के लिए अब लोग शार्टकट को अपना रहे हैं। झूठे वादे व जनता को गुमराह कर राजनीति में स्वयं को स्थापित करने का प्रयास करने वाले ही वास्तव में राजनीतिज्ञों की छवि को धूमिल करने पर तुले हैं। ऐसे लोग थोड़े समय के लिए तो लाभ की स्थिति में रहते हैं, लेकिन कुछ समय बाद इन लोगों को चेहरा बेनकाब हो जाता है। वीरेंद्र कंवर ने कहा कि राजनीति में हमेशा सकारात्मक सोच के साथ काम किया है। लोगों की समस्याओं को सुलझाना प्राथमिकता रही। निश्चित तौर पर लोगों की अपेक्षाएं राजनीतिज्ञों से बढ़ी हैं। जनता अपना हर सही व गलत काम राजनेताओं से करवाना चाहती है। विशेषकर राजनेताओं से ऐसे कार्य के लिए संपर्क किया जाता है, जो करीब-करीब नामुमकिन होता है। राजनीति में ऐसे लोगों की भी एंट्री हो चुकी है, जो कि गैरकानूनी ढंग से पैसा कमाते हैं तथा माफिया से जुड़े हैं। चुनावों से पहले व बाद में ये लोग धन, शराब-कबाब के सहारे विधानसभा की दहलीज तक पहुंचने की फिराक में रहते हैं। जनता की कसौटी पर खरा उतरने के लिए क्षेत्र के विकास व आमजन के कल्याण के लिए लगातार कार्य करना पड़ता है, वहीं गांव व गरीब की सेवा में सब कुछ झोंकना पड़ता है। चुनावों में विकासात्मक कार्यों पर चर्चा होनी चाहिए। लोगों को विकास व कल्याण के कार्यों को केंद्रित कर राजनेताओं से सवाल जवाब करने चाहिए।

सिस्टम पर नहीं रहा भरोसा

जनता का सिस्टम पर भरोसा उठता जा रहा है। जिस काम को पंचायत सदस्य करवा सकता है, उसके लिए भी लोग विधायक/सासंद/मंत्री से संपर्क साधते हैं। लोग एक ही काम के लिए पंचायत प्रधान, बीडीसी, जिला परिषद सदस्य व एमएलए व एमपी को बोलते हैं। कहीं से तो काम बन जाए, इसी आशा में सबको काम लगाया जाता है।

जनता सूझबूझ से चुने नेता

माता-पिता जिस प्रकार से अपने बच्चों के भविष्य को समझदारी से शेप देने का प्रयास करते हैं, उसी प्रकार जनप्रतिनिधियों के चयन में भी जनता को जागरूक होकर निर्णय लेना चाहिए। धनबल, भ्रष्ट आचरण व माफिया को पछाड़ साफ-सुथरी राजनीति को अधिमान दिया जाना चाहिए।