तीन बार टेंडर, पर श्रीनयनादेवी रोप-वे बनाने कोई नहीं आया

बिलासपुर —  पर्यटन के लिहाज से तैयार की गई महत्त्वाकांक्षी परियोजना आनंदपुर साहिब-श्रीनयनादेवी रोप-वे को लंबी समयावधि बीतने के बाद भी पंख नहीं लग पाए हैं। विडंबना यह है कि पांच साल तक यह प्रोजेक्ट सियासी पालने में झूलता रहा और जब इसे मूर्तरूप देने का समय आया तो कोई निवेशक आगे ही नहीं आया। श्रद्धालुओं की सुविधा के मद्देनजर तैयार किया गया यह प्रोजेक्ट अब ठंडे बस्ते में पड़ गया है। जानकारी के मुताबिक 2010-11 में भाजपा सरकार के कार्यकाल में पंजाब राज्य के रामपुर नामक जगह से आनंदपुर साहिब-श्रीनयनादेवी रोप-वे निर्माण की योजना तैयार की गई। तत्कालीन सरकार का पंजाब सरकार के साथ इस प्रोजेक्ट को लेकर समझौता भी हुआ था। सूत्र बताते हैं कि सिख और हिंदू एकता को मजबूत बनाने के मकसद से तैयार किए गए इस प्रोजेक्ट के निर्माण के लिए दोनों सरकारों की 50-50 फीसदी  भागीदारी सुनिश्चित की गई थी। यही नहीं, उस समय इस प्रोजेक्ट को सिरे चढ़ाने के लिए शुरुआत की गई और बाकायदा टेक्निकल सर्वेक्षण भी करवाया गया। सूत्र बताते हैं कि जमीन चयन की प्रक्रिया चलाई गई और एनओसी भी ले ली गई थी, लेकिन बाद में प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हुआ और राज्य की कांग्रेस सरकार ने इस प्रोजेक्ट के एमओयू को रद्द कर दिया। बाद में सरकार ने निर्णय लिया कि इस प्रोजेक्ट को पंजाब से नहीं, बल्कि प्रदेश की सीमा के अंदर टोबा से बनाया जाएगा।  हालांकि सरकार ने इस प्रोजेक्ट को सिर चढ़ाने के लिए तीन बार टेंडर भी किए, लेकिन आज दिन तक कोई भी निवेशक आगे नहीं आया। इसके चलते यह प्रोजेक्ट अभी तक सिरे नहीं चढ़ पाया है। ऐसे में यह प्रोजेक्ट विधानसभा चुनाव में एक बड़ा मुद्दा बन सकता है। पता चला है कि भाजपा इस मुद्दे को चुनाव में हथियार के रूप में भुनाने के लिए तैयार है। उल्लेखनीय है कि उत्तर भारत के सुप्रसिद्ध शक्तिपीठ श्रीनयनादेवी में साल भर लाखों की तादाद में श्रद्धालुओं का आवागमन रहता है। ज्यादातर श्रद्धालु पंजाब राज्य से आनंदपुर साहिब के रास्ते कोलांबाला टोबा होते हुए श्रीनयनादेवी पहुंचते हैं। इसलिए सरकार ने श्रद्धालुओं को रोप-वे की सहूलियत उपलब्ध करवाने के लिए यह प्रोजेक्ट स्वीकृत किया था।

प्रोजेक्ट पर जल्द शुरू हो जाएगा काम

कांग्रेस के प्रदेश महासचिव एवं सरकार में बीस सूत्री कार्यक्रम एवं क्रियान्वयन कमेटी के चेयरमैन रामलाल ठाकुर कहते हैं कि इस महत्त्वपूर्ण प्रोजेक्ट को मूर्तरूप देने के लिए सरकार हरसंभव प्रयास कर रही है। सभी औपचारिकताएं भी पूरी की जा चुकी हैं और इस प्रोजेक्ट के संचालन के लिए तीन बार टेंडर भी हो चुके हैं। जल्द ही प्रोजेक्ट पर काम शुरू होने की उम्मीद है।

क्रेडिट के चक्करमें कांग्रेस सरकार

श्रीनयनादेवी के विधायक रणधीर शर्मा कहते हैं कि भाजपा सरकार के कार्यकाल में तमाम तय औपचारिकताएं पूरी कर ली गई थीं, लेकिन सत्ता परिवर्तन के चलते कांग्रेस सरकार ने प्रोजेक्ट के एमओयू को रद कर दिया। टोबा के बजाए पंजाब राज्य की सीमा पर रामपुर से रोप-वे निर्माण सही रहेगा। क्योंकि टेक्निकल फिजिबिलिटी रिपोर्ट भी यही कहती है, लेकिन सरकार क्रेडिट के चक्कर में है। तीन टेंडर करने के बाद अभी तक कोई निवेशक आगे नहीं आया है।