दिवाली पर रंग-बिरंगी रंगोली

भारतीय संस्कृति का प्रतीक

रंगोली भारतीय संस्कृति की प्रतीक है। हमारी संस्कृति में तीज-त्योहारों का बड़ा महत्त्व है। आदर-सत्कार वाले इस देश में अतिथि को देवता माना जाता है तथा उसका ससम्मान घर में प्रवेश कराया जाता है। अतिथियों के स्वागत  परंपरा का निर्वहन करते हुए द्वार पर सुंदर रंगोली बनाई जाती है। रंगोली तीज-त्योहारों व अतिथियों के घर आगमन की खुशी में बनाई जाती है, जिसमें फूल-पत्ती, देवी-देवता व अन्य शुभ प्रतीकों की आकृतियां फर्श पर उकेरी जाती हैं।

कैसी होती है रंगोली :

रंगोली फ्री हैंड और डॉटेड दो प्रकार से बनाई जाती है। पहले मारबल के सफेद रंग से जमीन पर बिंदु बनाए जाते हैं। फिर उन बिंदुओं को मिलाते हुए उस पर सुंदर आकृति बनाई जाती है। आकृति बनाने के बाद उसमें मनचाहे रंग भरे जाते हैं। फ्री हैंड रंगोली में सीधे जमीन पर ही आकृति बनाई जाती है।

लकड़ी के बुरादे को अलग-अलग रंगों में रंगकर उससे भी रंगोली बनाई जाती है। इसके अलावा रंग-बिरंगे सुंदर फूलों से भी रंगोली बनाई जाती है, जो बहुत ही आकर्षक लगती है। कुछ लोग रंगोली की बजाय फर्श पर पारंपरिक ‘मांडना’ डिजाइन भी बनाते हैं, जिसमें लाल रंग के गेरू और सफेद खडिया का इस्तेमाल किया जाता है। मांडना अधिकांशतः गांवों में बनाया जाता है। यह दिखने में बेहद ही सुंदर लगता है।

आज कल मिलती है तैयार रंगोली :

रंगोली बनाने के झंझट से मुक्ति चाहने वालों के लिए ‘रेडीमेड रंगोली’ एक बेहतर तरीका है अपनी घर की देहरी को सजाने का। लेकिन जो शोभा अपने हाथों से बनाई रंगोली में होती है, वह रेडीमेट में कहां।