पंचायतों के सहारे सरक रही चाय नगरी की जिंदगी

पालमपुर – पालमपुर शहर की सांसें अब फूलने लगी हैं, सबसे अधिक वाहनों का पंजीकरण करने वाले शहर में तिल धरने को जगह नहीं हैं। राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी ने पालमपुर शहर की सरहदों का विस्तार नहीं होने दिया और अब पालमपुर साथ लगती पंचायतों के सहारे सरक रहा है। चाय नगरी की जनता लंबे समय से जिला बनाए जाने की मांग कर रही है, तो नगर परिषद का विस्तार कर नगर निगम का दर्जा किए जाने की वकालत भी होती रही है। आज आलम यह है कि छह दशक से एक किलोमीटर से भी कम दायरे में सिमटे पालमपुर शहर में भूमि का बिरला ही टुकड़ा खाली रहा है। नगर परिषद का विस्तार न किए जाने से पालमपुर शहर का सारा दबाव साथ लगती पंचायतों के कंधों पर आ चुका है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण बन चुका है पालमपुर का कूड़ा संयंत्र।  लोहना पंचायत के गांव सुरड़ में एक करोड़ रुपए की लागत से बनाया गया कूड़ा संयंत्र इस समय सफेद हाथी बन चुका है। पालमपुर शहर में आवारा घूम रही गउओं के आश्रय के लिए गोसदन के निर्माण के लिए भी आईमा पंचायत की खाली पड़ी जमीन देखनी पड़ी।

पंचायतों का सहारा

      1.कूड़ा संयंत्र-लोहना पंचायत

  1. गोसदन-आईमा पंचायत
  2. जनसंख्या-शहर में चार हजार, पंचायतों में 70 हजार
  3. होटल-शहर से अधिक घुग्गर-आईमा में
  4. कृषि विवि-पंचायत क्षेत्र में
  5. सीएसआईआर-पंचायत क्षेत्र में
  6. संभावित रोप-वे-पंचायत क्षेत्र में
  7. सौरभ वन विहार-आईमा पंचायत

कांग्रेस-भाजपा के कोरे आश्वासन

पालमपुर नगर परिषद विस्तार और जिला के गठन को लेकर पूर्व भाजपा सरकार के समय में शुरू किए गए प्रयास अधूरे रहे, तो कांग्रेस के नेता भी जनता को आश्वासनों का लॉलीपाप ही देते रहे। मुख्यमंत्री के दरबार तक पहुंच कर भी यह मामला अंजाम तक नहीं पहुंचा और सरहदों में सिमटी चाय नगरी के विस्तार को लेकर स्थानीय विधायक ने कितने प्रयास किए यह पालमपुर की जनता बखूबी जानती है भाजपा नेताओं ने प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के एक माह के भीतर पालमपुर को जिला का दर्जा देने का वादा किया है।