1.
काला मुंह लाल शरीर,
कागज को वह खाता,
रोज शाम को पेट फाड़कर,
कोई उन्हें ले जाता।
2.
कल बनता धड़ के बिना,
मल बनता सिरहीन,
थोड़ा हूं पैर कटे तो,
अक्षर केवल तीन।
3.
पानी से निकला दरख्त एक
पात नहीं पर डाल अनेक।
एक दरख्त की ठंडी छाया,
नीचे एक बैठ न पाया।
4.
मने देखा अजब एक बंदा,
सूरज के सामने रहता ठंडा,
धूप में जरा नहीं घबराता ,
सूरज की तरफ मुंह लटक जाता।