प्रोमोशन के इंतजार में ही रिटायर
पुलिस विभाग में पदोन्नति को तरस रहे हैं 58 फीसदी कांस्टेबल
शिमला — हिमाचल पुलिस विभाग में कांस्टेबल वर्ग के कर्मचारी पदोन्नति से महरूम हैं। विभाग में जवानों को तय सीमा पर पदोन्नति देने के लिए कोई कदम नहीं उठाए जा रहे हैं, ऐसे में अब इसको लेकर मांग उठ रही है। आरटीआई एक्टिविस्ट सीताराम धीमान ने जवानों की भर्ती, पदोन्नति और सेवाओं के संबंधित दूसरे लाभों के बारे में सूचना मांगी थी। सूचना से साफ पता चलता है कि राज्य में करीब 58 फीसदी कांस्टेबल बिना पदोन्नति के रिटायर हो रहे हैं। विभाग में हैड कांस्टेबल के पदों के 60 फीसदी बी-वन टेस्ट उत्तीर्ण करने वालों से भरे जाते हैं, वहीं 10 फीसदी खेल व अन्य गतिविधियों में अव्वल रहने वालों से भरे जाते हैं। रूटीन की पदोन्नति के लिए मात्र 30 फीसदी पद ही बचते हैं। इस तरह रूटीन की पदोन्नति के इंतजार में ही 58 फीसदी जवान सेवानिवृत्त हो रहे हैं। यह बात भी सामने आई है कि क्लेरिकल काडर (आफिस स्टाफ) और एग्जीक्यूटिव स्टाफ (फील्ड स्टाफ) में भी पदोन्नति के मामले में भेदभाव है। क्लेरिकल में प्रत्येक कांस्टेबल को प्रोमोशनल कोर्स का मौका दिया जाता है और इनकी टाइम बाउंड प्रोमोशन होती है और अधिकतम पांच साल में इनको पदोन्नति मिल जाती है। इसके विपरीत एग्जीक्यूटिव काडर यानी फील्ड स्टाफ को प्रोमोशनल कोर्सेज करने का मौका नहीं मिलता। इनको बी-वन टेस्ट देना पड़ता है। कुछ मामलों में पदोन्नतियां ऐसे जवानों को दी जाती हैं, जो पुलिस मेडल हासिल करते हैं। आरटीआई एक्टिविस्ट सीताराम धीमान का कहना है कि पुलिस विभाग को जल्द से जल्द नियम तैयार करने चाहिंए, जिनमें प्रावधान हो कि प्रत्येक कांस्टेबल को 16 साल की सेवा के बाद हैडकांस्टेबल, 24 साल के कुल सेवाकाल के बाद एएसआई और 30 साल के कुल सेवाकाल के बाद एसआई पदोन्नत किया जाए।
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