बंगलूर में बच्चें ने बुर्जुगों के लिए जुटाए 25 लाख

बंगलूर के एक स्कूल के स्टूडेंट्स ने गरीब और जरूरतमंद वरिष्ठ नागरिकों की आंखों के इलाज का बीड़ा उठाया है। स्टूडेंट्स ने सिर्फ 60 दिनों में 25 लाख रुपए जुटाए हैं। इससे करीब 2500 जरूरतमंद बुजुर्गों की आंखों की रोशनी दोबारा लौटाई जा सकेगी। बुजुर्गों को दृष्टि देने के नेक काम में जुटे दिल्ली पब्लिक स्कूल (डीपीएस) बंगलूरपूर्व और इलेक्ट्रॉनिक्स सिटी ब्रांच के स्टूडेंट्स ने अलग-अलग तरीकों से आम जनता के बीच जाकर कड़ी मेहनत से ये पैसे जोड़े हैं। इसके लिए उन्होंने डोर टू डोर कैंपेनिंग के साथ ही ऑनलाइन पोर्टल का भी सहारा लिया। डीपीएस (ई-सिटी) की प्रिंसीपल अनुपमा रामचंद्रन ने बताया कि हर स्टूडेंट ने अपने स्तर पर इसके लिए अभियान चलाया। सभी ने अपना एक लक्ष्य तय किया और ऑनलाइन पोर्टल के जरिए लोगों तक संदेश पहुंचाकर उनसे मदद मांगी। इसमें उन्होंने लिखा कि हम गांव में रह रहे मोतियाबिंद के शिकार जरूरतमंद बुजुर्ग लोगों की आंखों की रोशनी दोबारा लौटाना चाहते हैं। हमें आपकी मदद की दरकार है। अनुपमा ने कहा कि हम किताबों के जरिए तो रोजाना स्टूडेंट्स को दूसरों की मदद करने का ज्ञान देते हैं, लेकिन इस बार हम एक कदम आगे बढ़े हैं और बच्चों को किताबों से निकालर सीधे लोगों के बीच पहुंचाया है, ताकि हम उन्हें वास्तविक जीवन में रोल मॉडल बना सकें। अनुपमा ने बताया कि स्टूडेंट्स कवी मेहनत रंग लाई है। इस नेक काम के लिए पैसे तो जुट ही गए हैं, उधर अस्पताल भी न्यूनतम दर पर सभी जरूरतमंद बुजुर्गों की आंखों की सर्जरी के लिए तैयार है। डीपीएस (पूर्व) की प्रिंसीपल मनीला सी. ने कहा कि इस नेक पहल के लिए हमारे संस्थान के स्टूडेंट्स ने ऑनलाइन पोर्टल के अलावा फूड स्टॉल लगाकर, ग्रीटिंग कार्ड्स और पोस्ट कार्ड्स की बिक्री करके भी पैसे जुटाए। इसके अलावा स्टूडेंट्स ने नुक्कड़ नाटक के जरिए भी फंड जुटाए। मनीला सी. ने कहा कि एक बेहतर इनसान बनने के लिए संवेदनशील होना जरूरी है। स्कूल में पढ़ाई के साथ-साथ जरूरी है कि स्टूडेंट्स को इसके लिए भी प्रोत्साहित किया जाए। इससे वे समाज के लोगों की जरूरतों को समझेंगे। वे महसूस कर पाएंगे कि समाज के लोग किन दिक्कतों से गुजर रहे हैं और फिर उसके समाधान में अपना योगदान दे पाएंगे। मनीला ने कहा कि उन्हें एक प्रिंसीपल होने के नाते इस बात की खुशी है कि उनके कैंपस के स्टूडेंट्स इस तरह के सामाजिक कार्यों में रुचि रखते हैं और बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं।