बगावत की चिंगारियां
(रूप सिंह नेगी, सोलन)
टिकटों के बंटवारे के साथ विरोधी सुर या बगावत की चिंगारी न उठे, यह हो नहीं सकता। जो नेता वर्षों से पार्टी की सेवा में पसीना बहाते रहे हों, तो लाजिमी है कि उन्हें टिकट मिलना ही चाहिए। जब उन्हें टिकट नहीं मिलता तो आहत होना भी स्वाभाविक ही है। कुछ नेताओं के साथ इस बार भी ऐसा ही हुआ है, क्योंकि पार्टी ने उनको नजरअंदाज कर पैराशूट नेताओं को टिकट दे दिया है। कुछ ऐसे भी नेता होंगे, जो टिकट के अधिक हकदार थे और अरसे से अपने क्षेत्र में जनता के दुख-दर्द को समझकर उसे दूर करने में सेवारत रहे हैं। जनता खुद भी उनकी नुमाइंदगी का पसंद करती है, लेकिन इन्हें टिकट से वंचित रखकर हाइकमान किसी चहेते को टिकट थमा दे, तो उस नेता और उसके समर्थकों में रोष की लहर पैदा होना स्वाभाविक ही है। हर राजनीतिक दल को नियम बनाना चाहिए कि प्रत्याशी ने कम से कम दो साल तक जनता में रहकर कार्य किया हो।
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