बैजनाथ मंदिर की सुरक्षा खुद कर रहे भोलेनाथ

बैजनाथ —  ऐतिहासिक धरोहर शिव मंदिर बैजनाथ का अस्तित्व खतरे में है। कहने को तो यहां शिव मंदिर ट्रस्ट कमान प्रशासन के पास है, लेकिन मंदिर के किसी भी भाग को कोई हाथ नहीं लगा सकता, क्योंकि उसका जिम्मा पुरातत्व विभाग के पास है। भक्तों द्वारा जो चढ़ावा आता है, वह सीधा बैंकों में जाता है। मौजूदा समय में करोड़ों रुपए की एफडीआर बनकर एक पत्र के रूप में पड़ी है, उसे कोई खर्च नहीं कर सकता। मंदिर के कपाट रात नौ बजे की आरती के बाद बंद हो जाते हैं, जो सुबह चार बजे खुलते हैं। इसी बीच कोई मंदिर में घुस जाए, चोरी कर जाए, धरोहर मूर्तियों के साथ छेड़छाड़ कर जाए, उसका कोई रखवाला नहीं। बीते शुक्रवार को रात डेढ़ बजे मंदिर में पांच लोगों ने चोरी के इरादे से प्रवेश किया, लेकिन शातिर अपने उस मिशन में कामयाब नहीं हो सके। चार साल पूर्व भी चोर मंदिर की दीवार फांद कर प्रवेश कर गए थे, उनके औजार तक मंदिर के अंदर रह गए थे। चार वर्ष पूर्व भी ट्रस्ट की हुई बैठक में निर्णय लिया गया कि मंदिर की सुरक्षा हेतु होमगार्ड कर्मियों की तैनाती की जाएगी, मगर मामला बैठक तक ही सीमित रह गया। प्रशासन ने भी कोई कदम नहीं उठाया। वैसे तो मंदिर के अंदर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं, वे भी देखने के लिए कि कोई पुजारी हेराफेरी न करे, लेकिन मंदिर की सुरक्षा भगवान शिव भोलेनाथ के हवाले है। मंदिर के उद्यान में ऊंची-ऊंची लाइट्स लगाई गई हैं, ताकि कोई असामाजिक तत्त्व अंदर न जा सके, मगर आजकल वे बंद पड़ी हैं। मंदिर प्रशासन तर्क देता है कि यह जिम्मेदारी पुरातत्त्व विभाग की है। वह मंदिर की सुरक्षा देखे। प्रशासन करोड़ों रुपए पर काठ मार बैठा है। न पुरातत्त्व विभाग कुछ करता है, न ही मंदिर ट्रस्ट कुछ कर पार रहा है। इसको लेकर ‘दिव्य हिमाचल’ ने सोमवार को बीड़ में आए जिलाधीश कांगड़ा को इस मामले से अवगत करवाया। डीसी सीपी वर्मा ने आश्वासन दिया है कि मंदिर की सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए जाएंगे।