भगवान रघुनाथ संग 220 देवता, पहरे पर नाग धूमल

अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव के आगाज पर जय श्रीराम के जयघोष से गूंजा कुल्लू शहर, शोभायात्रा में हजारों भक्तों ने भरी हाजिरी

कुल्लू— भगवान रघुनाथ जब अपने मंदिर रघुनापुर से लाव-लश्कर के साथ ढालपुर के लिए रवाना हुए, तो चारों तरफ से जय श्रीराम के नारे गूंजे। इसके साक्षी कुल्लू ही नहीं, बल्कि देशी-विदेशी लोग भी बने। सरवरी, लोअर ढालपुर होते हुए भगवान रघुनाथ रथ मैदान पहुंचे। भगवान रघुनाथ का स्वागत पुलिस विभाग कुल्लू ने भी अपनी परंपरा मार्चपास्ट के साथ किया। जब देवी-देवता रथ मैदान में भगवान रघुनाथ के रथ की दोनों तरफ एकत्रित हुए, तो राज्यपाल आचार्य देवव्रत भी भाव विभोर हुए। हजारों की संख्या में लोग भगवान रघुनाथ जी की शोभायात्रा में शामिल हुए। अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव में कुल्लू के 220 से अधिक देवी-देवताओं ने शिरकत की। देवता धूमल नाग ने सुरक्षा व्यवस्था संभाली। वहीं माता काली भी रथयात्रा के दौरान सुरक्षा व्यवस्था बनाती रही। बतौर मुख्यातिथि पहुंचे राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने अपने परिवार के साथ भगवान रघुनाथ जी की शोभायात्रा को देखने का लुत्फ उठाया।  शोभायात्रा शुरू होने से पहले यहां पारंपरिक सभी रीति-रिवाजों को निभाया गया। भगवान रघुनाथ जी को उनके हजारों भक्तों व सुरक्षा बलों द्वारा रथ मैदान पहुंचाया गया। जहां पर भगवान रघुनाथ जी को उनके रथ में बैठाया गया और उसके बाद उनकी विधिवत ढंग से पूजा-अर्चना की गई। वहीं राज परिवार के सभी सदस्यों ने रथ की परिक्रमा की। इसके बाद यहां भेखली माता का इशारा मिलते ही रथ यात्रा को जय श्रीराम के नारों के साथ शुरू किया गया। जहां पर भक्तों ने जय श्रीराम के नारों के साथ रथ को खींचा। मान्यता है कि भगवान रगुनाथ जी के रथ को खींचने पर सभी मनोकामना पूर्ण होती हैं, लोग कई तरह से कष्टों से दूर होते हैं। ऐसे में यहां लोग कोसों दूर से भी दशहरे के पहले दिन भगवान रघुनाथ जी की रथयात्रा को खींचने के लिए पहुंचते हैं। उधर, रथयात्रा शुरू होने पर भगवान रघुनाथ जी की रथयात्रा के आगे-आगे देवी-देवता वाद्य यंत्रों की थाप के साथ नाचते हुए भगवान रघुनाथ जी के अस्थायी शिविर तक पहुंचे। वहीं आदि ब्रह्मा, विष्णु महेश भी अपने हजारों कारकूनों के साथ रघुनाथ जी की शोभायात्रा में शामिल हुए। देवी-देवताओं की सुरक्षा को लेकर यहां जिला प्रशासन ने पुख्ता व्यवस्था की थी। इस बार पुलिस का भी कड़ा पहरा यहां देखने को मिला। वहीं रथ मैदान में सीसीटीवी कैमरे भी यहां इस बार लगाए गए थे।

 सताती रहीं कर्ण सिंह की याद

स्व. मंत्री कर्ण सिंह के निधन के बाद राज परिवार का यह पहला सबसे बड़ा देव कार्यक्रम था। हर किसी को स्व. मंत्री कर्ण सिंह की भी याद सताती रही। कर्ण सिंह के समर्थकों की आंखें दशहरा उत्सव में नम ही रही। उनके पुत्र आदित्य विक्रम सिंह ने भी नम आंखों के साथ ही देव कार्यों व राजपरिवार की अपनी जिम्मेदारियों को निभाया। सुबह से ही स्व. कर्ण सिंह के बेटे आदित्य विक्रम सिंह ने देवी-देवताओं के स्वागत करने के लिए मोर्चा संभाला था। यही नहीं रघुनापुरसहित ढालपुर में पहुंचे देवभूमि कुल्लू के लोग स्व. मंत्री कर्ण सिंह की चर्चा कर रहे थे।