भुंतर को ट्रैफिक के भारी बोझ के अलावा कुछ नसीब नहीं

By: Oct 30th, 2017 12:25 am

सरकार के आगे हाथ फैला रहा शहर सुविधाओं से वंचित, फाइलों में अटका मल्टी स्टोरी पार्किंग का प्रस्ताव, परेशान लौटते हैं सैलानी

भुंतर – अंतरराष्ट्रीय पर्यटन नगरी कुल्लू का प्रवेश द्वार माना जाने वाला कस्बा भुंतर विकास की राह से भटक रहा है। स्थानीय लोग यहां पर सुविधाओं के लिए कई सालों से सरकारों के द्वार पर पहुंच चुके हैं, लेकिन सिवाय ट्रैफिक के भारी-भरकम बोझ के अलावा भुंतर को कुछ भी नसीब नहीं हुआ है। वर्तमान में भुंतर कुल्लू विधानसभा के अंतर्गत आता है, लेकिन परिसीमन से पहले यह बंजार विधानसभा के तहत आता था। भुंतर में सुविधाओं की कमी स्थानीय लोगों के साथ जिला में हर साल आने वाले लाखों सैलानियों तक को खलती है। यहां की सबसे बड़ी दिक्कत ट्रैफिक है, जिसने पूरे शहर की रफ्तार को कई सालों से रोक रखा है। कुल्लू-मनाली-मणिकर्ण के लिए मुख्य रास्ता इसी शहर से जाता है और पर्यटन सीजन में यहां पर वाहनों का मेला लग जाता है, लेकिन ट्रैफिक से निपटने के लिए सरकार कोई भी व्यवस्था नहीं कर पाई है। यहां से चुने गए विधायक पार्किंग के समाधान में कोई रुचि नहीं दिखा रहे हैं, जिससे यह दिक्कत और ज्यादा बढ़ रही है। मल्टी स्टोरी पार्किंग का प्रस्ताव करीब दस साल पहले तैयार होकर शहरी विकास विभाग के द्वार पहुंच चुका है, लेकिन अभी भी फाइल में अटका है। जाम और पार्किंग की दिक्कत इस कदर है कि यहां से गुजरने वाले लाखों सैलानी बिना परेशान हुए यहां से वापस नहीं लौटता है। शहर की अनदेखी इस कदर है कि लोगों में अब सरकारों के प्रति रोष लगातार बढ़ रहा है और इस बार के चुनावों में इसका असर साफ देखा जा सकता है। बहरहाल, कुल्लू जिला का प्रवेश द्वार भुंतर को ट्रैफिक के अलावा कुछ नसीब नहीं हुआ है। शहरीकरण के चलते बजौरा से लेकर शमशी तक का क्षेत्र एक कस्बे में तबदील हो चुका है, लेकिन शहरवासियों को सरकार की सुविधाएं मनमाफिक नहीं मिल रही हैं।  भुंतर में सुविधाओं की कमी स्थानीय लोगों के साथ जिला में हर साल आने वाले लाखों सैलानियों तक को जरूर खलती है।

दब गई कचरा प्रबंधन संयंत्र की मांग

शहर की सफाई व्यवस्था का मामला भी भुंतर की साख को दांव पर लगा रहा है। सरकार शहर के लिए कचरा प्रबंधन संयंत्र की मांग को कई सालों से दबाए हुए है और पूरा शहर कचरा-कचरा हो रहा है। मजबूरी में मौहल स्थित कचरा संयंत्र में कचरा पहुंचाना पड़ रहा है, जहां के प्रबंधक शहर के कचरे को उठाने से कई बार हाथ खड़े कर चुके हैं।

पर्यटकों के लिए चार साल में नहीं बना सूचना केंद्र

सैलानियों के लिए एक पर्यटक सूचना केंद्र स्थापित की मांग की गई थी, लेकिन शिलान्यास के बाद चार साल हो गए हैं, लेकिन एक ईंट तक नहीं लगी है। यहां पर तैनात पुलिस महकमे को सालों से यातायात कर्मियों की कमी खल रही है, लेकिन न तो विधायक और न ही सरकारें सुनने को तैयार हैं।


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