महंगाई की मार, अब तो कम पड़ने लगी ग्रांट

नेरचौक —  जिंदगी भर अपने कंधों पर जिम्मेदारियों का बोझ ढोने के बाद बुढ़ापे में विभिन्न परिस्थितियों के चलते बेसहारा बने वृद्धों को नई जिंदगी देने वाली बल्ह घाटी की बल्ह वैली कल्याण सभा के लिए अब सरकारी मदद में अपने शेयर का नियम भारी पड़ने लगा है। भंगरोटू में पिछले तीस सालों से वृद्ध आश्रम चलाने बाली बल्ह वैली कल्याण सभा को अब वृद्ध  आश्रम चलाने के लिए मिलने वाली सरकारी सहायता में अपनी बीस प्रतिशत की हिस्सेदारी का इंतजाम करने में दिक्कतें आने लगी हैं। पहले संस्था को कुल खर्च का दस प्रतिशत पैसा स्वयं जुटाना होता था, लेकिन पिछले दो सालों से इसे बीस प्रतिशत कर दिया गया है और यह बढ़ोतरी संस्था को बोझ लगने लगी है। बल्ह वैली कल्याण सभा के प्रधान डा. दिनेश वशिष्ठ का कहना है कि बल्ह वैली कल्याण सभा को वृद्ध आश्रम के वृद्धों के रहन सहन और खाने सहित रोजमर्रा की जरूरतों के लिए साल में आठ लाख रुपए के करीब की सरकारी सहायता मिलती है जो इस महंगाई के जमाने में अब कम पड़ने लगी है। प्रधान के मुताबिक दूसरी समस्या अपने शेयर के इंतजाम की है। प्रधान का कहना है कि संस्था को अपने हिस्से का पैसा जुटाने में भी परेशानी हो रही है और सरकारी मदद भी कम पड़ रही है। प्रधान का कहना है कि वृद्ध आश्रम में सात कर्मचारी है और प्रत्येक कर्मचारी को चार हजार रुपए महीने की तनख्वाह दी जाती है, जो इस मंहगाई के जमाने में कम है।