यूथ आइकॉन बन महकी मुस्कान

By: Oct 8th, 2017 12:10 am

NEWSजीवन में अगर कुछ कर गुजरने का जज्बा इनसान के भीतर है, तो उसे किसी भी तरह की कठिनाई रोक नहीं सकती है। इसे साबित कर दिखाया है शिमला जिला के चिड़गांव की रहने वाली मुस्कान ठाकुर ने। मुस्कान बचपन से ही दृष्टि बाधित हैं, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने अपने जीवन में एक अलग मुकाम हासिल किया है। मुस्कान को हाल ही में भारत निवार्चन आयोग की ओर से यूथ आइकॉन चुना गया है। यूथ आइकॉन के रूप में मुस्कान का चयन होने के बाद मुख्य चुनाव आयुक्त की ओर से मुस्कान को गेयटी थियेटर में 25 सितंबर को हुए समारोह में सम्मानित किया जा चुका है। प्रदेश में यह पहली बार है कि किसी खास हस्ती को आइकॉन के रूप में न चुन कर एक आम छात्र और वह भी 100 फीसदी दृष्टिहीन छात्रा को यूथ आइकॉन के तौर पर चुना गया। यूथ आइकॉन चुने जाने पर मुस्कान का कहना है कि वह बेहद उत्साहित हैं कि वह अपने जैसे हजारों अन्य युवाओं को मतदान के लिए प्रेरित कर सकेंगी। मुस्कान भी इन आगामी विधानसभा चुनावों में पहली बार मतदान करेंगी। इसके लिए उनका उत्साह दोगुना बढ़ गया है। वह युवाओं को मतदान के लिए जागरूक करेंगी। इसके लिए वह यही संदेश युवाओं को देंगी कि वे लोकतंत्र के गठन में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करें। एक वोट की कीमत क्या है और उसका लोकतंत्र पर कितना असर पड़ता है इसे लेकर वह युवाओं को जागरूक करेंगी। मुस्कान ने कहा कि सामान्य लोगों के साथ-साथ शारीरिक रूप से अक्षम सभी युवाओं को मताधिकार करने और सरकार को बनाने में अपना योगदान देने के लिए जागरूक करेंगी। मुस्कान ने अपनी आरंभिक शिक्षा कुल्लू के विशेष स्कूल में और कक्षा छठी से 11वीं कक्षा तक की शिक्षा एक सरकारी स्कूल से हासिल की है। इसके बाद मुस्कान शिमला के कन्या वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला पोर्टमोर में जमा दो की शिक्षा ग्रहण करने के लिए आई। यहां प्रवेश तो मिल गया, लेकिन होस्टल सुविधा के लिए जंग लड़नी पड़ी जो उमंग और स्कूल की सहायता से जीत ली। इसके बाद ग्रेजुएशन की शिक्षा प्रदेश के प्रसिद्ध और एक मात्र कन्या महाविद्यालय से हासिल की। इस दौरान अपनी गायन प्रतिभा को भी दिखाने का मौका मुस्कान को मिला। गाने का शौक और सुरीली आवाज तो मुस्कान को बचपन से ही मिली थी। कई बार स्कूल में होने वाले कार्यक्रमों में भी प्रस्तुतियां मुस्कान ने दीं, लेकिन कक्षा पांचवीं में जब उनके शिक्षक बेली राम कौंडल ने उनकी सुरीली आवाज की प्रशंसा कर यह कहा कि मुस्कान तुम्हारी आवाज बहुत सुरीली है और तुम संगीत में बेहतर कर सकती हो, तो एक नई दिशा मुस्कान को मिली। अभी हाल ही में मुस्कान ने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से यूथ फेस्टिवल में भाग लिया जिसमें फोक सांग में दूसरा और ग्रुप सांग में पहला स्थान प्राप्त किया है। संगीत में अपनी प्ररेणा लता मंगेश्कर जी को मनाने वाले मुस्कान को श्रेया घोषाल को भी सुनना बेहद पसंद है। वर्तमान में मुस्कान हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में एमए म्युजिक के पहले सेमेस्टर में पढ़ रही हैं। जीवन के लक्ष्य और मुकाम पर मुस्कान का कहना है कि जीवन वही है जो दूसरों के काम आ सके। इसके लिए वह म्यूजिक को ज्यादा से ज्यादा सीखना चाहती है ताकि वह दूसरों को सिखा सके। फोन पर इंटरनेट के माध्यम से गाने सुनती और उनकी जानकारी हासिल करने के साथ ही मुस्कान ब्रेल सीखने और पढ़ने में भी पूरी तरह सक्षम है। मुस्कान के पिता जय चंद नेगी एक बागबान हैं और माता अंबिका देवी गृहिणी हैं। मुस्कान के तीन भाई बहन हैं। परिवार की ओर से पढ़ाई के साथ-साथ संगीत में भी पूरा सहयोग मिल रहा है। मुस्कान का कहना है कि उनके पिता जी उन्हें किसी भी तरह के प्रोग्राम या आयोजन में जाने से कभी रोकते नहीं हैं। मुस्कान ने वर्ष 2011 में वॉयस ऑफ हिमालय में भी भाग लिया था, जिसमें उन्होंने जूनियर वर्ग में दूसरा स्थान हासिल किया है। रफी नाइट्स में पहला और समर फेस्टिवल में भी मुस्कान ने अपनी प्रतिभा को दर्शाया है।

— भावना शर्मा, शिमला

मुलाकात

NEWSजीवन का अंधेरा खुद पर हावी नहीं होने दिया…

यूथ आइकॉन बनने के अर्थ में आपके लिए चुनाव का संदेश क्या हो जाता है?

मेरा चुनावी संदेश यही है कि प्रदेश ही नहीं, देश का प्रत्येक युवा सरकार के चयन में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। प्रत्येक युवा को मतदान के लिए आगे आना चाहिए। मेरा संदेश डिसएबल्ड युवाओं के लिए भी यही है कि उन्हें भी मतदान कर लोकतंत्र में अपनी भूमिका अदा करनी चाहिए।

युवा मसलों की कड़वाहट के बीच चुनाव का आशावादी रुख क्या हो सकता है?

आज के दौर में युवा अपनी कई मांगें पूरी न होने से वर्तमान राजनीति से ऊब चुके हैं, लेकिन मेरा मानना है कि मतदान से एक ऐसी सरकार का चयन करने का सबसे बड़ा अधिकार भी उनके हाथ ही में है। ऐसे में अपने मतदान के अधिकार का इस्तेमाल कर युवा एक ऐसी सरकार का गठन कर सकते हैं, जो उनकी मांगों और मसलों का समाधान करे। यही एक आशावादी रुख हो सकता है।

आपके चयन का यथार्थ क्या है और युवाओं की दृष्टि से वर्तमान राजनीति की तीन बड़ी व्याधियां क्या हैं?

मेरे चयन का यथार्थ है कि मेरे यूथ आइकॉन चुने जाने का जो मकसद है, मैं उसे पूरा कर सकूं। युवाओं की दृष्टि से कहूं तो वर्तमान राजनीति में परिवारवाद, युवाओं को राजनीति में मौका न मिलना और वोट बैंक पर आधारित राजनीति होना ही बड़ी तीन व्याधियां हैं।

किस राष्ट्रीय या हिमाचली नेता से प्रभावित होती हैं और क्यों?

मैं देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से प्रभावित हूं। इसकी वजह है कि उनमें कुछ करने की चाह और जज्बा है।

आपके लिए संगीत ही एक संसार है या इसके माध्यम से आप खुद को किस हद तक महसूस कर पाती हैं?

संगीत ही एकमात्र ऐसा विकल्प है, जिसके माध्यम से मैं अपने आप को पूरी तरह से महसूस कर पाती हूं। इसे देखने की नहीं, भीतरी मन से महसूस कर सुरों को सजाने की जरूरत होती है।

कोई ऐसा शख्स, जिसनें आपके भीतरी तूफान को जीवन की पगडंडी बना दिया।

मेरे जीवन में ऐसा कोई एक नाम नहीं है, जिसने मुझे रास्ता दिखाया हो। मेरे माता-पिता से लेकर स्कूल, कालेज और विश्वविद्यालय स्तर पर भी मुझे कई ऐसे लोग मिले हैं, जिन्होंने मुझे रास्ता दिखा कर उस पर चलने का हौसला भी दिया, तो किसी एक का नाम ले पाना संभव नहीं है।

अब तक की सबसे बड़ी सफलता, कितना संभव है आपके लिए श्रोताओं से जुड़ पाना और इसका अवलोकन कैसे करती हैं?

मेरे जीवन की सबसे बड़ी सफलता यही है कि मुझे यूथ आइकॉन चुना गया। मैं संगीत की प्रोफेशनल टे्रनिंग किसी बड़े संगीतज्ञ से लूंगी। जहां तक श्रोताओं से जुड़ने की बात है, तो जब मैं  गाती हूं तो पूरी तरह से श्रोताओं से जुड़ पाती हूं उनकी तालियों की गूंज से मैं यह महसूस भी कर लेती हूं कि दर्शकों को कितना खुद से जोड़ पाई हूं।

आपके लिए जीत का निष्कर्ष क्या है?

जीत का निष्कर्ष तभी होता है जब आप उसे सार्थक बना सकें। अब मुझे यूथ आइकॉन चुना गया है तो मैं अगर युवा वर्ग को मतदान करने के लिए प्रेरित कर मतदान केंद्र तक पहुंचा सकूं, तो वही मेरी जीत का निष्कर्ष होगा।

मुस्कान ठाकुर के आनंद की सीमा क्या है और जब उजालों को महसूस करती हैं तो वे लम्हें कैसे चुनती हैं?

मैं हर एक खुशी, फिर चाहे वह बड़ी हो या छोटी, सभी में आनंद लेती हूं और उजालों को महसूस करने की जरूरत कभी नहीं हुई। मेरे लिए यही सकारात्मकता कि किसी खास चेहरे को न चुन कर 100 फीसदी दृष्टिहीन छात्रा को यूथ आइकॉन चुना गया है।

जीवन का क्या लक्ष्य है और अब तक की सबसे यादगार उपलब्धि?

जीवन का एक मात्र लक्ष्य है कि संगीत प्रोफेसर बन सकूं और यह न बन पाई तो संगीत में एक ऐसा मुकाम हासिल करूं कि मेरी पहचान संगीत से हो। यादगार उपलब्धियों में तो अब यही है कि जीवन में अंधेरा होने के बाद भी यह मुझ पर हावी नहीं हो पाया।

कोई हिमाचली गीत जिसे गुनगुना कर बड़ी हुईं या जिस कलाकार को बार-बार सुनने का मन करता है?

हिमाचली गीत ‘मेरा मामा रंजिआ मामा’ को गुनगुना कर बड़ी हुई हूं और वैसे तो मेरी संगीत में प्रेरणा लता मंगेश्कर जी हैं, जिन्हें सुनना मुझे पसंद है। इसके साथ ही हिमाचली कलाकार नरेंद्र ठाकुर को भी सुनना पसंद है।


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