वीरभद्र की जागीर बन गई है कांग्रेस

By: Oct 16th, 2017 12:15 am

अनिल शर्मा बोले, हालात ऐसे बनाए कि पार्टी छोड़ने को हुए मजबूर

मंडी —  कांग्रेस से निकाले जाने के बाद भी पंडित सुखराम के परिवार ने किसी दूसरे दल का दामन नहीं थामा था। जब हिमाचल विकास कांग्रेस के विलय की बात आई, तब भी पंडित सुखराम ने कांग्रेस को ही चुना। यही नहीं, पिछले कुछ समय से हर मंच पर पंडित सुखराम और उनका परिवार भाजपा में न जाने का ऐलान करता रहा, लेकिन अब चुनावों से ठीक पहले पंडित सुखराम के परिवार ने कांग्रेस को हमेशा के लिए अलविदा कह कर सबको चौंका दिया है। इस बात के कयास तो पिछले दो महींनों से लगाए जा रहे थे, लेकिन यह कयास सही बैठेंगे और राजनीति के चाणक्य यूं करवट लेकर प्रदेश की राजनीति में नए समीकरण पैदा कर देंगे, इससे अब सब हैरान हैं। पंडित सुखराम के पुत्र अनिल शर्मा ने ‘दिव्य हिमाचल’ के साथ विशेष बातचीत में उन सारी बातों का खुलासा किया, जिनसे उनका परिवार भाजपा में जाने के लिए मजबूर हो गया। उन्होंने मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह पर खूब गुबार निकाला और कांग्रेस को उनके परिवार की संपत्ति करार दिया।

भाजपा में जाने का फैसला आपके परिवार ने एक दम लिया या पहले से ही योजना बन रही थी?

अनिल शर्मा : कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में जाने की हमारी पहले से कोई योजना नहीं थी, लेकिन पिछले कुछ दिनों में ऐसे हालात बना दिए गए कि हमें कांग्रेस को छोड़ना पड़ गया। जानबूझ कर ऐसे हालात बनाए और हमें मजबूर किया गया।

ऐसी क्या वजह रही कि अब भाजपाई बन गए?

अनिल : एक नहीं, अनेक वजह हैं। बार-बार हर मंच पर मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने हमारे परिवार का अपमान किया। मैं अपनी बातें तो सहन करता रहा, लेकिन पंडित सुखराम का अपमान करने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई। पांच साल पहले मुझे मंत्री न बनाया जाए, इसके  लिए वीरभद्र टीम ने पूरा जोर लगाया, लेकिन हम उस बात को भी भूल गए। प्रतिभा सिंह की हार पर ब्राह्मणवाद के आरोप लगाए गए। मैं फिर भी चुप रहा और सिर्फ मंडी के विकास पर ध्यान दिया, लेकिन जब कांग्रेस के प्रभारी मंडी आए तो मुख्यमंत्री ने मंच से पंडित सुखराम को अपमानित किया। उन्हें आया राम, गया राम कहा गया। इतना अनाप-शनाप कहा गया कि विकास पंडित सुखराम की खैरात नहीं है। इतनी बातें जनता में और मंडी में कही गईं, मुख्यमंत्री इससे क्या सिद्ध करना चाहते थे। इससे पंडित सुखराम के समर्थकों को काफी पीड़ा पहुंची। राहुल गांधी की रैली में पंडित सुखराम को आने नहीं दिया गया और अब कांग्रेस की चुनाव समितियों तक से मेरा नाम काट दिया गया। यह कार्यकर्ताओं को सहन नहीं हुआ और हमें यह कदम उठाना पड़ा।

कांग्रेस का प्रदेश में क्या भविष्य है?

अनिल : राजनीतिक दलों और नेताओं का भविष्य जनता तय करती है, लेकिन प्रदेश में कांग्रेस पार्टी नाम की कोई चीज नहीं रही। कांग्रेस को वीरभद्र सिंह ने अपनी जागीर बनाया हुआ है। कांग्रेस सिर्फ वीरभद्र सिंह रह गई है। कभी हाइकमान हिमाचल में यह देखती है कि कार्यकर्ताओं और नेताओं के साथ क्या हो रहा है। मैं पांच साल मुख्यमंत्री के साथ रहा और कभी उन्हें आहत नहीं किया, लेकिन वीरभद्र सिंह ने हमें आहत करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

आपका गिला कांग्रेस से है या वीरभद्र सिंह से?

अनिल : गिला कांग्रेस से नहीं है। मैं आज भी सोनिया गांधी का सम्मान करता हूं। मेरे परिवार का गिला सिर्फ वीरभद्र सिंह, उनकी हठधर्मिता और उनकी चंद लोगों की टीम से है। वीरभद्र सिंह कांग्रेस को पार्टी नहीं, बल्कि अपने परिवार की संपत्ति समझते हैं। उन्हें लगता है कि जो वह चाहते हैं, वह निर्णय ही सबको पार्टी में मानना पड़ेगा। उनकी हठधर्मिता की वजह से मुझे लगता है कि कांग्रेस पार्टी सही फैसला नहीं लेगी। इसलिए हमने उनका साथ छोड़ने का निर्णय लिया है।

राहुल गांधी की मंडी रैली में आने से पंडित सुखराम को किसने रोका?

अनिल : राहुल गांधी की रैली में भी हमारी अनेदेखी की गई। पंडित सुखराम इस रैली के लिए दिल्ली से आए थे और उन्हें बुलाया गया था, लेकिन रैली से पिछली रात मुझे बुलाया गया और दबाव बनाया गया कि पंडित सुखराम मंच पर नहीं आएंगे। मैंने इसका विरोध किया, लेकिन हमारी बात नहीं सुनी गई। स्थानीय विधायक होने के बाद भी रैली में मुझसे सबसे अंत में धन्यवाद भाषण दिलाया गया। यह सब सिर्फ एक व्यक्ति के कहने पर किया गया।

पांच साल आप सरकार में मंत्री बने रहे। इस बीच आपने क्यों आवाज नहीं उठाई?

अनिल : मैं पांच वर्ष पार्टी और मंडी के विकास के लिए चुप रहा हूं। मुझे लगा कि परिस्थितियां सुधर जाएंगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

क्या अकेले वीरभद्र सिंह ही इसके लिए जिम्मेदार हैं?

अनिल : विधायक मजबूत हो तो मुख्यमंत्री मजबूत बनते हैं, लेकिन यहां उल्टी परिस्थितियां बनाई गईं। चुने हुए जनप्रतिनिधियों की सुनने की बजाय चंद लोगों की सुनी गई। एक विधायक के कहने के बाद भी अधिकारियों, मेरे रिश्तेदारों और कार्यकर्ताओं के भी तबादले नहीं किए गए। तबादले की फाइलें भी मंडी के चंद लोगों के कहने पर निपटाई गईं। मंडी शहर के विकास के कार्यो में भी रोड़े अटका कर विधायक को कमजोर करने का प्रयास किया गया। इसमें मंडी के चंद लोगों की एक पूरी टीम शामिल रही। क्या यह हो सकता है कि यह सब कुछ बिना मुख्यमंत्री की सहमति से होता रहा।

अब आपका भाजपा से क्या समझौता हुआ है? क्या भाजपा आपको मंत्री बनाएगी? 

अनिल : मुझे सिर्फ मंडी शहर का विकास चाहिए। इसलिए यह कदम उठाया गया है। मंडी में रिकार्ड विकास कार्य हुए हैं। जो कुछ रह गया है, वह भाजपा कार्यकर्ताओं का आदर कर और उन्हें साथ लेकर पूरा कर लिया जाएगा। गठबंधन सरकार के समय भी हमने काम किया है। कोई भाजपा कार्यकर्ता यह बता दे कि मैंने बदले की भावना से किसी के साथ काम किया हुआ हो।  मैंने लोगों को प्यार से जीतने की कोशिश की। यही मेरा मूल मंत्र है। मुझे पूरा विश्वास है कि जनता मुझे जीत दिलाएगी और मंडी सदर का विकास होगा। मुझे मंत्री बनाना है या नहीं, यह निर्णय पार्टी करेगी।

आपको लगता है कि हिमाचल कांग्रेस में तानाशाही चल रही है?

अनिल : बिलकुल आज ऐसे ही हालात हैं। मुझे सबसे बड़ा दुख इस बात का है कि इस सरकार में उन लोगों की सुनी जाती है, जिनका जनता में कोई वजूद ही नहीं है। ऐसे लोग हर विधानसभा में हैं।

अब आपके पास कांग्रेस के खिलाफ क्या मुद्दे हैं? भाजपा तो आपके खिलाफ मुद्दे उठाती रही है?

अनिल : सदर का विकास करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। यह सब जानते हैं। विकास के नाम पर मैं चुनाव लड़ूगा। भाजपा के कुछ लोगों ने पांच साल में कुछ बातें उठाई होंगी, लेकिन इस दौरान कोई उनसे आकर नहीं मिला, लेकिन अब सब साथ हैं और सबको साथ लेकर कांग्रेस प्रत्याशी के खिलाफ चुनाव लड़ा जाएगा।


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