सरकार को हो गए पांच साल, पर नहीं बन पाया ठियोग अस्पताल

By: Oct 2nd, 2017 12:10 am

newsठियोग – जिला शिमला का प्रमुख द्वार कहे जाने वाले ठियोग के सिविल अस्पताल को सरकार ने अपग्रेड तो कर लिया, लेकिन पांच वर्ष बीत जाने के बावजूद अस्पताल का नया भवन बनकर तैयार नहीं हो पाया है। आलम यह है कि ठियोग के अलावा बाकी जगहों पर छोटी-बड़ी दुर्घटनाओं के अधिकतर मामले ठियोग अस्पताल ही पहुंचते हैं, लेकिन यहां पर सुविधाओं के अभाव के चलते मरीजों को आईजीएमसी शिमला के लिए रैफर करना पड़ता है। हालांकि वर्तमान सरकार ने ठियोग में 150 बेड वाले एक बड़े अस्पताल की नींव 14 नवंबर, 2013 को रखी थी, जिसके बाद लग रहा था कि अब जाकर लोगों को इस परेशानी से निजात मिलेगी, लेकिन सरकार के पांच साल तो बीत गए, परंतु अभी भी अस्पताल भवन के पहले चरण का काम पूरा नहीं हो पाया है। इस अस्पताल पर 24 करोड़ की राशि को खर्च किया जाना है, जिसमें अभी पहले चरण में चिल्ड्रन वार्ड का निर्माण हो रहा है। अभी इसमें ए-ब्लॉक में 60 बेड अभी फिलहाल चिल्ड्रन वार्ड के ही होंगे। सिविल अस्पताल में स्टाफ की कमी के अलावा बाकी सुविधाओं के अभाव के कारण मरीजों को निजी क्लीनिकों की ओर रुख करना पड़ता है। अस्पताल में डाक्टर की कमी के अलावा अन्य कर्मचारियों की भारी कमी हमेशा खलती रही है, जिसका नजीता यह रहता है कि छोटी सी बीमारी को लेकर मरीजों को आईजीएमसी शिमला भागना पड़ता है। ठियोग सिविल अस्पताल में खाली पदों का मुद्दा हमेशा से गरमाया रहता है, लेकिन इन पांच सालों की बात की जाए तो सरकार द्वारा भी समय रहते अस्पताल में खाली पदों की संख्या को पूरा नहीं किया गया है। ठियोग में साल 2013 में नया ओपीडी भवन भी बना है। हालांकि इसके बनने से अस्पताल में व्यवस्था में काफी सुधार आया है और ओपीडी की संख्या में पिछले दो साल से काफी बढ़ गई है। अब आए दिन देखने में आ रहा है कि सुबह से ही मरीजों की लंबी-लंबी लाइनें लगनी शुरू हो जाती हैं। यहां पर ठियोग के अलावा कोटखाई, कुमारसैन, चौपाल व रोहडू तक से मरीज आते हैं और अधिकतर जो सड़क दुर्घटनाओं के केस होते हैं, वे पहले ठियोग अस्पताल में ही लाए जाते हैं, लेकिन सुविधाओं के अभाव में इन्हें आईजीएमसी शिमला रैफर कर दिया जाता है।

कई बार गंवानी पड़ती है जान

ठियोग तथा आसपास के इलाकों में कोई भी छोटी बड़ी दुर्घटना होने पर ठियोग अस्पताल में सही सुविधा न मिलने के कारण मरीजों को शिमला रैफर करना पड़ता है। ऐसे में कई बार समय पर उपचार न मिलने के कारण जान भी गंवानी पड़ती है। क्षेत्र के लोगों की मांग है कि ठियोग में शीघ्र नए अस्पताल का काम पूरा हो।


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