सीएम की दौड़ में मंडी फिर चित

राहुल गांधी की घोषणा के साथ ही टूटी उम्मीदें, पंडित सुखराम के बाद कौल की हसरत पर भी पानी

मंडी – पिछले कई दशकों से मुख्यमंत्री की कुर्सी पाने का सपना देख रही छोटी काशी यानी मंडी की उम्मीदों को फिर एक बार झटका लगा है। कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा पड्डल में की गई घोषणा ने मंडी की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। राहुल गांधी की घोषणा से बेशक कांग्रेस के एक धडे़ की उम्मीदों को आसमान मिल चुका है, लेकिन दूसरी तरफ इस बात से भी नहीं मुकरा जा सकता कि छोटी काशी मंडी की उम्मीदें इन चुनावों में कांग्रेस के खाते से खत्म हो गई हैं। हालांकि राजनीति में अंतिम क्षणों तक कुछ भी निश्चित नहीं है, लेकिन मंडी में हुई कांग्रेस की रैली मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह व उनकी टीम को नई जान तो सीएम बनने का सपना देख रहे अन्य नेताओं को मायूसी दे गई है। यह पहली बार नहीं है, जब मंडी के साथ ऐसा हुआ है। पिछले विधानसभा चुनावों में भी मंडी से कांग्रेस के दिग्गज नेता कौल सिंह ठाकुर मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में सशक्त चेहरा बने थे। लगातार दो बार कांग्रेस का प्रदेशाध्यक्ष बनने के बाद मंडी से कौल सिंह को सीएम बनाने का नारा भी चला था, लेकिन चुनावों से ठीक पहले वीरभद्र सिंह व उनकी टीम ने सारी बाजी ही पलट दी थी, जबकि अब कौल सिंह ठाकुर अपने राजनीतिक जीवन का अंतिम चुनाव लड़ने जा रहे हैं। कांग्रेस से जुड़े लोग कहते हैं कि मंडी की रैली में मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह समर्थकों को छोड़ कर किसी को भी इस तरह की घोषणा की उम्मीद नहीं थी। यही वजह रही कि जैसे ही राहुल गांधी ने घोषणा की तो कई नेताओं के चेहरों का रंग उड़ गया था।

बता रहा इतिहास, बनते-बनते बिगड़ जाती है बात

इतिहास पर नजर दौड़ाएं तो 1993 में पंडित सुखराम भी इसी तरह से मुख्यमंत्री की रेस में पिछड़ गए थे। हाइकमान तो उन्हें मुख्यमंत्री बनाना चाहती थी, लेकिन वीरभद्र सिंह की रणनीति के आगे उनकी चाणक्य नीति भी फेल हो गई थी। पंडित सुखराम से पहले भी मंडी से मुख्यमंत्री का नारा उठा था और कर्म सिंह ठाकुर भी मुख्यमंत्री बनते-बनते रह गए थे।