हमीरपुर में पार्किंग का कोई ठिकाना नहीं

हिमाचल में चुनावी बिगुल बज गया है। पार्टी नेता और कार्यकर्ता चुनावों के लिए तैयार हो रहे हैं। ऐसे में अब पहली बार मतदान करने वाले युवा भी वोटिंग के लिए उत्साहित हैं। मुद्दों और मसलों पर परीक्षा लेने के लिए तैयार हैं। पहली बार मतदान करने वाले युवा क्या सोचकर मतदान करेंगे, इसी को लेकर मेरा मत मेरा अधिकार के तहत लेकर आ रहा है प्रदेश का अग्रणी मीडिया ग्रुप ‘दिव्य हिमाचल’…

 हमीरपुर से सन्नी पठानिया की रपट

पार्किंग को तरसा बस सटैंड

मनीष पठानिया का कहना है कि हमीरपुर सालों से नए बस स्टैंड, पार्किंग स्थल और मेडिकल कालेज के लिए तरस रहा है। हर बारी इन मुद्दों को चुनावों में उठाया जाता है और बाद में भूला दिया जाता है। करोड़ों की लागत से गरीबों के लिए बने 72 फ्लैट्स भी सालों से धूल फांक रहे हैं।

स्वास्थ्य सुविधाएं नाममात्र

सुरेंद्र बहल का कहना है कि हमीरपुर में विकास को पूरी तरह पंख नहीं लग पाए हैं। उनका कहना है कि स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर हमीरपुर को मेडिकल कालेज की सौगात दी गई है, लेकिन यहां सुविधाएं नाममात्र ही रह गई हैं। इतने बड़े अस्पताल में न तो कोई सर्जन है, न कोई मेडिकल स्पेशलिस्ट और न ही ईएनटी है। इलाज के लिए मजबूरन निजी अस्पतालों का रुख करना पड़ रहा है।

माल रोड पर मुद्दा गर्म

सन्नी बन्याल का कहना है कि शहर में माल रोड का मुद्दा अरसे से गरमाया हुआ है। हमीरपुर में माल रोड के मुद्दे को दरकिनार किया जाता है। मालरोड़ के बन जाने से गांधी चौक के भोटा चौक मार्ग पर वाहनों की आवाजाही पूरी तरह बंद हो जाएगी। इससे में बाजार में खरीददारी करने आने वालों लोगों को काफी राहत मिलेगी व चहलपहल बढ़ेगी।

पार्किंग की बड़ी समस्या

अश्वनी जगोता का कहना है कि हमीरपुर में पार्किंग का मुद्दा सबसे चिंताजनक है। शहर में एंटर करते ही लोगों को अपने वाहनों को पार्क करने की चिंता सताने लगती है। बाजार में खरीददारी करने जाने पर पार्किंग शुल्क अदा करना पड़ता है। उनका कहना है यदि गलती से वाहन को किसी दुकान के बाहर खड़ा कर दिया जाए ,तो वापस लौटने पर गाड़ी पर चलान चस्पा मिलता है।

सत्ता में आते ही वादे हवा

राजेश चंदेल का कहना है कि सभी नेता चुनावों के समय मतदाताओं को भुनाने की कोशिश करते हैं व सत्ता में आने पर वादों को पूरा नहीं करते। हमीरपुर में कई ऐसे मुद्दे हैं, जिन्हें पूरा करने के वादे किए जाने के बाद अधर में लटके हैं। फिर चाहे वह मेडिकल कालेज हो या भी हमीरपुर का नया बीस अड्डा।

स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं

सुमित कानूनगो का कहना है कि  हमीरपुर में स्वास्थ्य सुविधाएं सबसे ज्यादा अखरती हैं। अस्पताल में चिकित्सकों की कमी होने से हर कोई प्रभावित होता है। इस ओर किसी भी नेता का ध्यान नहीं जाता है। सरकार स्वास्थ्य सुविधाए मुहैया करवाने में नाकाम रहती है। इसके अलावा शहर में जाने पर वाहनों की पार्किंग का मुद्दा भी सबसे प्रमुख है।