हां…मैं खत्री हूं

By: Oct 2nd, 2017 12:05 am

हिमाचल के विकास में खत्री समुदाय का योगदान अभूतपूर्व रहा है। सियासत से लेकर हर क्षेत्र में इस वर्ग ने प्रदेश को अलहदा पहचान दिलाई है।  इस बार दखल के जरिए खत्री समुदाय का सुनहरा योगदान बता रहे हैं… मस्तराम डलैल…

खत्री समुदाय का इतिहास बहुत ही महत्त्वपूर्ण है। प्राचीन काल से ही यह जाति द्वितीय वर्ण यानी क्षत्रिय मानी जाती रही है। इस जाति में बड़े-बड़े शूरवीर, योद्धा, व्यापारी, विद्वान और धर्म प्रवर्तक हुए हैं, जिनसे भारत वर्ष के पन्ने रंजित हैं। यह प्राचीन सूर्यवंश और चंद्रवंश के उत्तराधिकारी हैं। मुसलमानी राज्य में भी ये उच्च पदों पर प्रतिष्ठित रहे। दिल्ली, आगरा, संयुक्त प्रांत और बिहार से होते हुए यह बंगाल तक चले गए। खत्री क्षत्री के ही रूप हैं। इसके प्रमाण में चार बातें हैं ,इनमें आर्यों का आदि उपनिवेश पंचनद प्रदेश में हुआ और वहीं भाषा के अनेक रूपों का विकास हुआ। प्राकृतों में ‘क्ष’ अक्षर नहीं हैं सके स्थान पर ‘ख’ का प्रयोग किया जाता है। भाषा विज्ञान के इसी उच्चारण विधान के कारण खत्री शब्द चलन में आया और वह अब तक प्रचलित है। इस तरह प्राचीनकाल में पंजाब के क्षत्रिय वर्ण के खत्री नाम से प्रसिद्ध होने की पुष्टि मिल जाती है। यह बात प्रसिद्ध है कि परशुरामजी ने अनेक बार क्षत्रिय राजाओं का नाश कर उनके राज्य ब्राह्मणों को दिए थे। इस प्रकार कई बार खत्रियों का समूल नाश हो गया था, जो खत्री बच गए, वे अपने पुरोहित सारस्वत ब्राह्मणों की कृपा से बचे। इधर- उधर छिप-छुपाकर ही खत्रियों ने अपनी रक्षा की थी, जबकि स्त्रियों और बालकों की रक्षा सारस्वत पुरोहितों द्वारा विशेष रूप से हुई थी। खत्रियों के सभी संस्कार सारस्वत ब्राह्मणों द्वारा शास्त्रोक्त रीति से ही कराए जाते हैं, यह उनके उच्च कुलोद्भव होने के प्रमाण हैं। सारस्वत ब्राह्मणों का निवास सरस्वती नदी के तट पर था। वह ही पूर्वकाल से खत्रियों के पुरोहित रहे हैं और उनके यहां की कच्ची रसोई तक खाते रहे हैं। इस संबंध में खत्री और सारस्वतों के गांत्र भी स्पष्ट प्रमाण उपस्थित करते हैं। बरेली में सन् 1901 में हुए खत्री सम्मेलन ने एक बहुत महत्त्वपूर्ण काम किया था। सम्मेलन के सभापति राजा बन बिहारी कपूर ने जो आवेदन पत्र सेंसर कमिश्नर रिजली साहब को प्रस्तुत किया था उसमें खत्रियों के संबंध में बहुत सी प्रमाणिक बातें आ गई थीं और यह सिद्ध हो गया था कि खत्री वास्तव में क्षत्रिय कुल के ही हैं।

जीआर सोनी ने विकास पर खर्चे पांच करोड़

खत्री समुदाय से इंजीनियर गोरख राम सोनी बीड़ के विकास पर पांच करोड़ रुपए खर्च कर चुके हैं। वह कई सालों से अमरीका में अपना कारोबार कर रहे हैं। जानकारी के अुनसार रोटरी आई अस्पताल बीड़ (चौगान) के लिए जमीन दान दी व उस पर स्वयं ही अस्पताल का निर्माण करवाया। उन्होंने बीड़ में ही 45 लाख  खर्च कर सराय का निर्माण भी करवाया। पीएचसी बीड़ के लिए लाखों की मशीनरी, वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला में कई कमरों व कम्प्यूटर हाल का निर्माण करवाया । इसके अलावा बीड़ के डा. बीएम अबरोल दिल्ली में बतौर ईएनटी विशेषज्ञ सेवाएं दे रहे हैं।

देश भर में बीडीएम की तूती

हिमाचल के औद्योगिक घरानों में खत्री समुदाय का नाम बड़ी शान के साथ लिया जाता है। ऊना का मेहता परिवार कत्था उद्योग का जनक है। बिशनदास मेहता के प्रयासों से अब बीडीएम फूड प्रोडक्शन के माध्यम से देश भर में अपनी पहचान बना चुका है। मसालों से लेकर सॉस जैम तक हर प्रोडक्ट में बीडीएम की तूती बोल रही है।

ट्रांसपोर्ट क्षेत्र में समुदाय ने कमाया नाम

राज्य की ट्रांसपोर्ट व्यवस्था खत्री समुदाय के दम पर टिकी है। खासकर कांगड़ा जिला के नामी ट्रांसपोर्टर प्रेम सर्विस, शिवालिक बस सर्विस, स्नो व्यू, तथा बेदी ट्रैवल हिमाचल प्रदेश की ट्रांसपोर्ट की रीढ़ मानी जाती है। अकेले प्रेम बस सर्विस के बेडे़ में 108 बसों का कुनबा है। सरकारी तंत्र से आगे बढ़कर प्रेम ट्रांसपोर्ट की बस सेवा भरमौर से लेकर किन्नौर तक दुर्गम तथा पिछड़े क्षेत्रों के लिए जाती है। इसी तरह मकलोडगंज की बेदी ट्रैवल की 40 से ज्यादा लग्जरी बसें हैं। हिमाचल के पर्यटन स्थलों के अलावा राजधानी दिल्ली के लिए बेदी ट्रैवल की वोल्वो तथा एसी बसों की फ्लीट हिमाचल के पर्यटन और आर्थिकी को गति देने में मील का पत्थर साबित हो रही है। हिमाचल के चप्पे-चप्पे पर प्रेम बस सर्विस तथा बेदी ट्रैवल की लग्जरी बसें सरपट दौड़ती नजर आती हैं। राज्य के पर्यटन स्थलों को देश की राजधानी दिल्ली से जोड़ने में बेदी ट्रैवल के एमडी मनमोहन बेदी का नाम सबसे ऊपर है। इसके अलावा लाला प्रेम की बस सर्विस प्रदेश के दुर्गम तथा पहाड़ी क्षेत्रों में ग्रामीणों की लाइफलाइन हैं। वर्तमान में पवन सोनी इस ट्रांसपोर्ट को चला रहे हैं। इसके अलावा शिवालिक बस सर्विस के रवि चड्ढा प्रदेश के नामी ट्रांसपोर्टर हैं।

प्रदेश में दो लाख आबादी

इस समुदाय की प्रदेश भर में करीब दो लाख आबादी है। मंडी शहर में खत्री सभा का गठन विभाजन के दौरान किया गया था। कुल 1400 सदस्यों वाली मंडी शहर खत्री सभा हिमाचल प्रदेश की सबसे प्रभावशाली और ताकतवर सभा मानी जाती है। चूंकि खत्री जाति की सबसे अधिक आबादी हमीरपुर शहर में 35 हजार के करीब है। पढ़े-लिखे और साधन संपन्न खत्रियों के लिए मंडी शहर को जाना जाता है। इस शहर में 28 हजार के करीब आबादी है। इसके बाद ऊना शहर खत्री समुदाय से भरा पड़ा है। नगरोटा बगवां, नालागढ़,बैजनाथ, पपरोला, नाहन, शिमला, चंबा तथा डलहौजी में भी इस समुदाय का खासा प्रभाव है। अहम है कि व्यापारिक उद्देश्य से हिमाचल में जड़ें मजबूत करने वाले खत्रियों की रिहायश अधिकतर शहरी इलाकों में है।

हर फील्ड में अभूतपूर्व योगदान

जहां पहुंचा खत्री वहीं साबित हुआ अभूतपूर्व योगदान। यानी जिस फील्ड को संभाल लिया उसमें अपनी काबिलियत साबित कर प्रदेश के विकास को गति देने का करिश्मा सिर्फ खत्रियों में है। देश की आजादी में अभूतपूर्व योगदान देने वाले खत्रियों के दम पर प्रदेश की ट्रांसपोर्ट व्यवस्था चल रही है। प्रदेश में क्रिकेट का पहला सितारा भी इसी जाति की कोख से निकला है। इंजीनियरिंग तथा मेडिकल में टॉप की पोजिशन पर इसी जाति की भूमिका रही है। पुलिस सेवाआें में खत्रियों की हुंकार से चंबल घाटी के डाकू पलक झपकने से भी कतराते हैं। हिमाचल प्रदेश में पत्रकारिता की नर्सरी भी खत्री समुदाय के सख्श की बगिया में उग रही है।

सिंधि गांधी के नाम से महशूर मंडी के स्वामी कृष्णानंद स्वामी

आजादी में सिंधि गांधी के नाम से मशहूर स्वामी कृष्णानंद के योगदान को पंडित जवाहरलाल नेहरू से लेकर सरदार बल्लभ भाई पटेल तक हर कोई जनता था। मंडी शहर में पैदा हुए स्वामी कृष्णानंद पाकिस्तान के सिंध प्रांत में आजादी के सबसे बड़े सूत्रधार बनकर उभरे थे। इसी के चलते वह पाकिस्तान की सियासत से लेकर देश की राजनीति में सक्रिय रहे। गद्दर पार्टी के मुख्य हीरो रहे स्वामी कृष्णानंद की भारत-पाक विभाजन के दौरान हिंदुआें को सुरक्षित भारत लाने में सबसे बड़ी भूमिका रही थी। इसके अलावा स्वामी पूर्णानंद तथा कृष्ण चंद वैद्य की स्वतंत्रता संग्राम में अहम भूमिका रही। हमीरपुर जिला के लाला भगत राम कड़ोहता को देश के महान स्वतंत्रता सेनानियों में आंका जाता है। प्रजामंडल मूवमेंट में उनकी भूमिका के किस्से आज भी पाकिस्तान में सुनाए जाते हैं।

सरकारी नौकरियों में नहीं मिलता आरक्षण

शिमला के व्यवसायी लव विज का कहना है कि आजादी के बाद खत्री समुदाय अपनी आर्थिकी मजबूत करने के लिए संघर्षरत है। चूंकि खत्री जाति सामान्य श्रेणी में दर्ज है। इस कारण हमें सरकारी नौकरियों और दूसरी व्यवस्थाआें में किसी तरह के आरक्षण की सुविधा नहीं है। इसके चलते हमें व्यापार की तरफ रुख करना पड़ा है। राज्य सरकार से खत्री विरादरी के लिए कोई विशेष प्रयास नहीं हुए हैं।

राजनीति में नहीं मिली तवज्जो

प्रदेश कांग्रेस सेवादल के सचिव राजीव चोपड़ा का कहना है कि हिमाचल के करीब दस विधानसभा क्षेत्रों में खत्री समुदाय की जनसंख्या 20 से 30 हजार है। इन विस क्षेत्रों में चुनावी नतीजे खत्री बिरादरी के रुख पर निर्भर करते हैं। हमीरपुर सदर में सबसे ज्यादा खत्री वोटर हैं। बावजूद इसके इस समुदाय के नेताआें को हिमाचल की राजनीति में तवज्जो नहीं मिली।

अब तक किसी सरकार ने नहीं दी बड़ी राहत

हमीरपुर के व्यवसायी राजेश आनंद का कहना है कि आत्म निर्भरता को परिभाषित करने वाला खत्री समुदाय बिना सरकारी सहायता या आरक्षण के अपने पांव पर खड़ा है। इस समुदाय के छात्रों ने बैंक से लोन लेकर उच्च शिक्षा प्राप्त की है।  अमरीका में भी सबसे ज्यादा हिमाचली इंजीनियर खत्री जाति के हैं। इसे बिडंबना ही कहा जाएगा कि मेहनतकश खत्री समुदाय के हित में कोई भी सरकार बड़ा काम नहीं कर पाई।

शिक्षा के लिए आर्थिक मदद मिले

पेशे से टीचर कनिष्का चोपड़ा का कहना है कि मैरिट में स्थान पाने के बावजूद छात्रों को व्यवसाय की तरफ रुख करना पड़ रहा है। इस समुदाय के लोग व्यापार के अलावा सरकारी उच्च पदों पर आसीन हैं।  राज्य सरकार को चाहिए कि इस समुदाय को विशेष दर्जा प्रदान कर खत्री कल्याण बोर्ड का गठन करे और छात्रों को ओबीसी की तर्ज पर उच्च शिक्षा के लिए आर्थिक सहायता मिले।

आरक्षण ने बढ़ा दी बेरोजगारी

शिल्पा आंगरा का कहना है कि एमए -बीएड व फार्मेसी में डिप्लोमा करने के उपरांत भी सरकारी नौकरी नहीं मिल पाई। फार्मेसी किए हुए 17 साल का समय बीत गया है। तेरह साल का अरसा बीएड को हो गया है। खत्री समुदाय में बेरोजगारी मुख्य मुद्दा है। स्वतंत्रता के बाद  शिक्षा ने इस समुदाय की जीवन शैली को बदलकर रख दिया है, लेकिन आरक्षण से बेरोजगारी बढ़ रही है। यही कारण है कि उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद भी नौकरियां नहीं मिल पा रहीं।

लकड़ी के खंभे का कंसेप्ट वाईएन मल्होत्रा की देन

बिजली बोर्ड के मुखिया रहे इंजीनियर वाईएन मल्होत्रा ने हिमाचली गांवों में सोशल इंजीनियरिंग के माध्यम से दुर्गम परिस्थितियों में विद्युत लाइन बिछाई। पूरे देश में कंकरीट तथा लोहे के खंभों से बिजली का जाल बिछ रहा था। अस्सी के दशक में हिमाचल के दुर्गम ऊंचे पहाड़ी क्षेत्रों में लोहे के खंबे ले जाना आसान नहीं था। इन परिस्थितियों में कंकरीट के पिल्लर खड़े करना भी खुली आंख के सपने के बराबर था। इंजीनियर वाईएन मल्होत्रा ने पहली बार लकड़ी के खंभों का कंसेप्ट बिजली बोर्ड में पेश किया। लोगों को इस अभियान में जोड़कर उन्होंने मुफ्त बिजली के खंभे भी ग्रामीणों से जगह-जगह खड़े कराए और भरमौर से लेकर किन्नौर तक विद्युत व्यवस्था पहुंचाई।  वर्तमान में इंजीनियर हर्ष पुरी, राजेश कानूनगो तथा मुनीष सहगल खत्री समुदाय के लोक निर्माण विभाग और आईपीएच में चर्चित चेहरे हैं।

इंजीनियर्स बन कर रहे जनसेवा

चंबा शहर की माटी से खेलकर बड़े हुए एमएस वकील लोक निर्माण विभाग में सर्वोच्च पद पर सेवाएं देते हुए इंजीनियरिंग-इन-चीफ रिटायर हुए। मंडी शहर के डीएन हांडा भी पीडब्ल्यूडी में इंजीनियरिंग-इन-चीफ बने। इसी शहर के केएल हांडा आईपीएच विभाग की टॉप पोजिशन इंजीनियरिंग इन चीफ से रिटायर हुए। इसी तरह डीएल वैद्य लोक निर्माण विभाग में इंजीनियरिंग-इन-चीफ बने। मंडी शहर के डा. लीला कृष्ण बहल इंडियन ड्रग एंड फार्मास्यूटिकल लिमिटेड आईडीपीएल के चेयरमैन मनोनीत हुए। पीसी विष्ट लोक निर्माण विभाग में चीफ इंजीनियर पद पर वर्षों तक सेवाएं देते रहे। इसी बिरादरी से संबंध रखने वाले हंस राज मल्होत्रा नाथपा झाकड़ी के चेयरमैन रहे। इंजीनियरिंग की दुनिया में सबसे बड़ा चेहरा अब भी एमपी वैद्य को माना जाता है।

चाटुकारिता राजनीति से कोई वास्ता नहीं

आर्थिक रूप से भी यह जाति हिमाचल प्रदेश के अन्य वर्गों से इक्कीस है। विभाजन के बाद हिमाचल की राजनीति इस समुदाय के इर्द-गिर्द घूमती थी। प्रदेश की राजनीति चाटुकारिता के आगोश में समाती गई। नतीजतन स्वाभिमान खत्री चापलूस राजनीति से दूर चला गया। लिहाजा मंडी, हमीरपुर तथा ऊना के विधानसभा क्षेत्रों में जबरदस्त प्रभाव होने के बावजूद खत्री विधायक या सांसद नहीं बन पाए हैं।

हमीरपुर नगर परिषद में दबदबा

प्रदेश की नगर इकाइयों में खत्रियों का एक छत्र राज है। अकेले हमीरपुर शहर की बात करें, तो पिछले कई दशकों से हमीरपुर नगर परिषद पर खत्री जाति के पार्षदों का दबदबा रहा है। मौजूदा उपाध्यक्ष दीप बजाज इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। इसी तरह मंडी, ऊना, सोलन तथा शिमला में भी खत्री समुदाय का स्थानीय इकाइयों में जबरदस्त प्रभाव देखने को मिलता है।

मंडी अर्बन बैंक की रखी नींव

मंडी अर्बन बैंक की नींव खत्री सभा मंडी के संस्थापक स्वामी कृष्णानंद ने रखी थी। वर्ष 1895 में पैदा हुए स्वामी कृष्णानंद के प्रयासों से मंडी अर्बन बैंक स्थापित हुआ था।

स्वास्थ्य क्षेत्र में भी बड़ी पहचान

इसके अलावा खत्री समुदाय में सैकड़ों डाक्टर अपनी सेवाएं दे चुके हैं। इस फील्ड में सबसे बड़ा नाम कृष्ण कुमार मल्होत्रा का है। न्यू फ्रालाजिस्ट कृष्ण कुमार मल्होत्रा सऊदी अरब किंग के फैमिली चिकित्सक रहे हैं। एम्स में सीनियर प्रोफेसर सेवाएं दे चुके डा. मल्होत्रा आईजीएमसी शिमला में डायरेक्टर भी रह चुके हैं। इन्हीं उपलब्धियों के चलते वह बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर तथा बतरा अस्पताल के डायरेक्टर रह चुके हैं। देश के राष्ट्रपति के निजी चिकित्सक रह चुके डा. अबरोल का नाम पूरे देश में मशहूर था। ईएनटी स्पेशलिस्ट डा. अबरोल स्वास्थ्य संस्थानों में कई शीर्ष पदों पर रह चुके हैं। ऊना जिला के सीएमओ रह चुके डा. आरके पुरी भी खत्री समुदाय का चर्चित चेहरा रहे हैं। केएल मल्होत्रा मंडी जिला से सीएमओ पद से रिटायर हुए हैं। क्षेत्रीय अस्पताल हमीरपुर की मेडिकल सुपरिंटेंडेंट अर्चना सोनी हैं। स्वास्थ्य क्षेत्र में सेवानिवृत्ति के बाद भी डा. पुरी अपनी सेवाएं राज्य सरकार को दे रहे हैं। इसके अलावा डा. वैद्य, डा. मल्होत्रा, डा. हांडा, डा. आरके कपूर, डा. नित्यनंद इस समुदाय के चिकित्सा के क्षेत्र में बड़े नाम रहे हैं। इसके अलावा इसी समुदाय के प्रो. पीके खोसला शूलिनी विश्वविद्यालय में वाइस चांसलर हैं।

लाहौर से लेकर दिल्ली तक जलवा

एक जमाने में लाहौर से लेकर दिल्ली तक हिमाचल के खत्री नेताओं की सियासत का सिक्का चलता था। मंडी शहर से ताल्लुक रखने वाले स्वामी कृष्णानंद 1934 में आर्य समाज के पाकिस्तान में प्रचारक बन गए। इस दौरान उन्हें कांग्रेस ने सिंध प्रांत का अध्यक्ष मनोनीत किया। पाकिस्तान की राजनीति में सक्रियता के चलते वर्ष 1946 में सिंध से विधान परिषद के सदस्य मनोनीत हुए। विभाजन के दौरान उन्होंने हजारों हिंदुओं को पाकिस्तान से भारत लाने में अपनी भूमिका निभाई। वापस हिमाचल लौटे स्वामी कृष्णानंद को 1952 में पहली बार हिमाचल विधान परिषद का सदस्य चुना गया। मंडी शहर से पहले एमएलसी निर्वाचित होने का उन्हें गौरव प्राप्त हुआ। इस दौरान नेहरू परिवार से लेकर सियासत के बड़े आकाओं के साथ उनका सीधा संवाद था। इसके बाद मंडी सदर से कृष्ण चंद वैद्य विधायक निर्वाचित हुए और डिप्टी स्पीकर बनने का गौरव हासिल हुआ। खत्री समाज में चंबा शहर से सागर चंद नैय्यर बड़े कद के राजनेता उभर कर सामने आए। वह कैबिनेट रैंक के मंत्री रहे और हिमाचल सरकार में शिक्षा विभाग का उन्हें स्वतंत्र प्रभार मिला। इसी जिला के बनीखेत से रेणु चड्ढा पहली खत्री महिला विधायक निर्वाचित हुई। इसके अलावा महान स्वतंत्रता सेनानी एवं प्रजामंडल मूवमेंट के सदस्य लाला भगत राम कड़ोहता प्रदेश की राजनीति में कद्दावर नेता बने। वह हमीरपुर जिला कांग्रेस के सबसे सफल पार्टी अध्यक्ष माने जाते हैं। इसके अलावा बनीखेत से मनोज चड्ढा तथा हमीरपुर से दीप बजाज स्थानीय निकाय की राजनीति के सूरमा रहे हैं। वर्तमान में भी पंचायती राज संस्थाआें से लेकर स्थानीय नगर निकाय चुनावों में खत्री समाज का खासा प्रभाव रहता है। हालांकि वर्तमान समय में विधानसभा और संसद में इस समुदाय की उपस्थिति गौण हो गई है। इसके पीछे कई सियासी मायने देखे जा सकते हैं।

सियासत में छाया समुदाय

स्वामी कृष्णानंद पाकिस्तान में कांग्रेस के सिंध राज्य के प्रदेशाध्यक्ष रहे। पाकिस्तान में ही विधान परिषद के सदस्य निर्वाचित हुए। मंडी सदर से हिमाचल विधान परिषद के पहले सदस्य निर्वाचित हुए। डा. प्रकाश चंद कपूर 1972 में कांग्रेस के विधायक बने। इससे पहले कृष्ण चंद वैद्य 60 के दशक में विधायक चुने गए। राज्य में सबसे लोकप्रिय शिक्षा मंत्री रहे सागर चंद नैय्यर हिमाचल कांग्रेस का बड़ा चेहरा बने। बनीखेत से रेणु चड्ढा पहली बार भाजपा महिला विधायक निर्वाचित हुईं। हमीरपुर से लाला भगत राम कड़ोहता कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे।

काश्तकारी ने निगल ली जमीनें

खत्री समुदाय के लोगों के पास अच्छी-खासी खेती योग्य जमीनें थीं। लैंड एकोजीशन 1954 इस जाति के लोगों की हजारों बीघा जमीन निगल गया। नतीजतन काश्तकारों के आगे भूमिहीन हुए खत्री अब नौकरीपेशे की ओर मुड़ने लगे। इसके बाद बच्चों को उच्च शिक्षा देने का सिलसिला शुरू हुआ।

20 हजार प्रति व्यक्ति आय

हिमाचल में सबसे ज्यादा इंजीनियर्स और डाक्टर्स इसी समुदाय की कोख से निकले हैं। इसके अलावा सेना से लेकर पुलिस प्रशासनिक सेवाओं तक खत्रियों का दमदार रसूख है। इस समुदाय के लोग 100 फीसदी शिक्षक माने जाते हैं और प्रति व्यक्ति आय 20 हजार से अधिक है। हिमाचल प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय 12 हजार 223 से अधिक आमदन वाली खत्री बिरादरी उच्च पदों के अलावा व्यापारिक घरानों में भी लोहा मनवा रही है।

सेना में दमदार रुतबा

भारतीय सेना में भी खत्री समुदाय का सीना चौड़ा रहा है। मेजर जनरल राकेश कपूर को भारतीय सेना का सबसे अदम्य साहस वाला अधिकारी माना गया है। ब्रिगेडियर नवीन गोयल तथा ब्रिगेडियर उपेंद्र विष्ट खत्री समाज के दमदार सैन्य अधिकारी हैं। इसके अलावा कर्नल रजनीश मंडोत्रा, एके मल्होत्रा, हरीश वैद्य तथा डा. जीपी कपूर भारतीय सेना के नामी अधिकारी हैं। देश की फौज में 30 से ज्यादा कर्नल और ब्रिगेडियर खत्री समुदाय से हैं। इसके अलावा सैकड़ों सैन्य अधिकारी इस विरादरी ने दिए हैं।

न्यायपालिका में अग्रणी भूमिका

खत्री समुदाय की न्यायपालिका में भी अहम भूमिका रही है। जस्टिस एचएल वैद्य हिमाचल हाई कोर्ट के न्यायाधीश रहे हैं। एएल वैद्य भी हाई कोर्ट में जस्टिस रहे हैं। इसके अलावा लाला ठाकुर प्रसाद तथा लाला दीनानाथ वैद्य हिमाचल के योग्य अधिवक्ता आंके गए हैं।

बृज लाल हांडा से खौफ खाते हैं चंबल के डाकू

मध्य प्रदेश पुलिस में आईजी पद पर तैनात मंडी के बृज लाल हांडा से अब भी चंबल घाटी के डाकू खौफ खाते हैं। घाटी में 35 डाकुओं का सफाया कर चुके बृज लाल हांडा मध्य प्रदेश पुलिस के सबसे चर्चित अधिकारी हैं। उत्तराखंड काडर के आईपीएस अधिकारी नवीन हांडा तथा दिल्ली पुलिस में परणित मल्होत्रा खत्री समुदाय की शान हैं।

क्रिकेट में राजीव नैयर के चौके-छक्के

हिमाचल रणजी के पहले कप्तान राजीव नैयर के नाम वर्तमान में भी घरेलू क्रिकेट के कई रिकार्ड दर्ज हैं। वह देश के सबसे लंबे समय तक रणजी खेलने वाले क्रिकेट कप्तान हैं। चंबा की मिट्टी से जुड़े राजीव नैय्यर के नाम घरेलू क्रिकेट में लंबी पारी खेलने और शतकों का रिकार्ड रहा है।

खत्री सभा मंडी की अनूठी पहल

खत्री सभा मंडी प्रदेश की पहली ऐसी सभा है, जो सामाजिक क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य कर रही है। इस सभा ने अपनी ओपीडी आरंभ कर निःशुल्क स्वास्थ्य सुविधा दे रखी है। ओपीडी में  भी इसी समुदाय के रिटायर्ड डाक्टर सेवाएं दे रहे हैं। खत्री सभा गरीब छात्रों की पढ़ाई का खर्चा उठा रही है। इसके अलावा सभा गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन कर रहे लोगों को प्रतिमाह आर्थिक सहायता प्रदान कर रही है।

सहयोग : चमन डोहरू


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