460 बैंक अफसर नपे

नोटबंदी के समय गड़बड़ के मामलों में बैंक कर्मियों पर कार्रवाई

नई दिल्ली — नोटबंदी के समय लोगों को लंबी लाइनों में लगे रहना पड़ा। लोगों को शक था कि बैंक के कुछ कर्मचारी काली करतूत में जुटे हुए थे और कालेधन वालों के साथ सांठ-गांठ करके काम कर रहे थे तो ये शक बिलकुल सही है। अब आधिकारिक तौर पर इसकी पुष्टि हो चुकी है। नोटबंदी के समय हेराफेरी करने की वजह से 460 बैंक कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। दिल्ली में गुरुवार को विजिलेंस कमिश्नर टीएम भसीन ने यह जानकारी दी कि नोटबंदी के समय गड़बड़ी के आरोप सही पाए जाने के बाद 460 बैंक कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। इनमें रिजर्व बैंक और प्राइवेट बैंक के कर्मचारी भी शामिल हैं। टीएम भसीन ने कहा कि इन बैंक कर्मचारियों के खिलाफ शिकायत मिली थी कि इन्होंने नोटबंदी के बाद 1000 और 500 ने नोट बदलने में गड़बड़ी की थी। गौरतलब है कि सीबीआई ने भी नोट बदलने के मामले में हेराफेरी करने के लिए 30 बैंक कर्मचारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। पिछले साल आठ नवंबर को मोदी सरकार ने नोटबंदी की घोषणा की थी। इस दौरान लोगों को 500 और हजार के नोट बदलने के लिए या उसे बैंक में जमा करने के लिए कुछ दिन का समय भी दिया था। चीफ विजिलेंस कमिश्नर केवी चौधरी ने बताया कि इस साल पिछले नौ महीनों में करीब 21 हजार भष्टाचार से संबधित शिकायतें मिलीं। इनमें से 17420 शिकायतों को विजिलेंस कमिशन ने खुद निपटाया और 96 शिकायतें ऐसी थीं, जिन्हें गहराई से जांच करने के लिए विजिलेंस आफिसर्स और सीबीई के पास भेजा गया। विजिलेंस कमीशन 30 अक्तूबर से चार नवंबर तक देशभर में सतर्कता जागरुकता हफ्ता मनाएगा।

21 हजार शिकायतें मिलीं

इस साल जनवरी से सितंबर के बीच उसे सरकारी अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार की कुल 20943 शिकायतें प्राप्त हुई थीं। इनमें से 17420 शिकायतों का निपटारा कर दिया गया है। सिर्फ 96 शिकायतों को ही मुख्य सतर्कता अधिकारियों के पास जांच के लिए भेजा गया है।

850 मामलों की जांच कर रही सीबीआई

सीबीआई भ्रष्टाचार के कुल 850 मामलों की जांच कर रही है। इनमें से 14 मामले पांच साल से भी ज्यादा पुराने हैं, जबकि 500 मामले एक साल से भी कम पुराने, 245 मामले एक से दो साल तक पुराने, 61 मामले दो से तीन साल पुराने और 31 मामले तीन से पांच साल पुराने हैं। आयोग के मुताबिक, इसी तरह भ्रष्टाचार के 6358 मामले विभिन्न अदालतों में लंबित हैं। इनमें से 178 मामले 20 साल से भी ज्यादा पुराने हैं।