अब 250 से कम आबादी की बस्तियों को भी सड़क
आधा हिमाचल आज भी पैदल
नाहन — प्रदेश सरकार भले ही राज्य में विकास के नित नए आयाम स्थापित करने के दावे करती है, लेकिन हकीकत इसके एक दम विपरीत है। राज्य के अथाह विकास की पोल प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में खुलती नजर आती है, जहां अभी भी राज्य की करीब आधी आबादी भाग्य रेखाएं कही जाने वाली सड़कों से कोसों दूर है। आलम यह है कि आजादी के सात दशक बाद भी राज्य में केवल 58.46 प्रतिशत गांव तक ही सड़क पहुंच पाई है। इसी से ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि देश को आजाद हुए 70 वर्ष होने को हैं, लेकिन अभी तक 41.53 प्रतिशत गांव सड़क सुविधा से महरूम हैं। प्रदेश सरकार के लोक निर्माण विभाग से जुटाई गई जानकारी के मुताबिक 31 मार्च, 2017 तक राज्य के 17449 गांव में से 10201 गांव तक सड़क पहुंची है, जबकि 7248 गांव अभी भी सड़क सुविधा से वंचित हैं। सबसे अधिक बिलासपुर जिला के 75.88 प्रतिशत गांव को सड़क सुविधा मिल चुकी है। दूसरे नंबर पर हमीरपुर की 71.73, जबकि कुल्लू जिला के 72 प्रतिशत गांव सड़क मार्ग से जुड़े हैं। सबसे कम किन्नौर जिला के केवल 28.35 प्रतिशत, लाहुल-स्पीति के 44.72 तथा सोलन जिला के 48.02 प्रतिशत गांव सड़क से जुड़े हैं। प्रदेश के सबसे बड़े जिला कांगड़ा में 31 मार्च, 2017 तक 3614 गांव में से 2385 गांव सड़क से जुड़े हैं, यानी कांगड़ा में 65.99 प्रतिशत गांव को ही अभी तक सड़क सुविधा मिल पाई है। कांगड़ा जिला के 1229 गांव अभी भी सड़क सुविधा से कोसों दूर हैं। सरकारें दिन सार्वजनिक मंचों व मीडिया के माध्यम से भले ही राज्य के अथाह विकास की बात की जाती है, लेकिन राज्य के विकास का इसी से पता लगाया जा सकता है कि राज्य में आजादी के सात दशक बाद भी 41.53 प्रतिशत गांव सड़क सुविधा से वंचित हैं।
ये हैं आंकड़े
जिला कुल गांव सड़क से जुड़े गांव
बिलासपुर 962 730
चंबा 1113 554
हमीरपुर 1634 1172
कांगड़ा 3614 2385
किन्नौर 233 66
कुल्लू 172 125
लाहुल 284 127
मंडी 2823 1634
शिमला 2515 1111
सिरमौर 966 774
सोलन 2378 1142
ऊना 755 484
गर्भवतियों मरीजों के लिए दिक्कत
राज्य के 41.53 गांव में सड़क न होने से सबसे अधिक मुश्किलें रोगियों व गर्भवती महिलाओं को अस्पताल पहुंचाने में आती हैं। आज भी दूरदराज के ग्रामीण इलाकों के लोग रोगियों को कुर्सी अथवा बांस के डंडे में बांधकर सड़क मार्ग तक पहुंचाते हैं। 31 मार्च, 2016 में राज्य के 17449 गांव में से 10150 गांव सड़क से जुड़े थे, जबकि 31 मार्च, 2017 में यह आंकड़ा बढ़कर 10201 हो गया है, यानी एक साल में प्रदेश सरकार पूरे राज्य में 50 गांव को सड़क से जोड़ पाई है। यदि इसी रफ्तार से सड़क निर्माण का कार्य होता रहा, तो प्रदेश में शत-प्रतिशत गांवों को सड़क पहुंचाने में करीब 144 साल लग जाएंगे।
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