ईसी में कालेजों के लिए जगह नहीं!

आचार संहिता समाप्त होने के बाद कार्यकारिणी परिषद में शिक्षकों को मिलेगा प्रतिनिधित्व

शिमला — हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय की कार्यकारिणी परिषद में प्रदेश के कालेजों के शिक्षकों को एक प्रतिनिधि मिलने की प्रक्रिया के लिए इंतजार करना होगा। प्रदेश में विधानसभस चुनावों के चलते लागू आचार संहिता समाप्त होने के बाद ही विश्वविद्यालय इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाएगा। विश्वविद्यालय की ओर से यह प्रकिया शुरू भी कर दी गई थी, लेकिन आचार संहिता के चलते विश्वविद्यालय प्रशासन को यह प्रोसेस बीच में ही रोकनी पड़ी है। विश्वविद्यालय कार्यकारिणी परिषद की ओर से कालेज शिक्षकों के साथ-साथ छात्रों का एक प्रतिनिधि परिषद में शामिल करने के निर्णय को मंजूरी दिए हुए एक वर्ष से अधिक का समय बीत चुका है। इतना समय बीतने के बाद प्रशासन ने सिर्फ कालेज शिक्षकों को प्रतिनिधि देने के लिए प्रक्रिया शुरू की है।  प्रतिनिधि का चयन चुनावी प्रक्रिया से करने के लिए प्रशासन की ओर से विश्वविद्यालय से संबद्ध सभी सरकारी और निजी कालेजों के नियमित शिक्षकों की वोटर लिस्ट जारी कर दी गई थी। विश्वविद्यालय कुलसचिव की ओर से जारी की गई वोटर लिस्ट में 594 नियमित शिक्षक मतदाता शामिल किए गए हैं। इस वोटर लिस्ट पर आपत्तियां दर्ज करवाने के लिए हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय की ओर से 20 दिन का समय यानी 27 सितंबर तक का समय दिया गया था। इसके बाद लिस्ट में कुछ नाम छूटने के चलते इस प्रक्रिया को 15 अक्तूबर तक बढ़ाया गया था, लेकिन इसके बाद यह प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ सकी। शिक्षकों को ईसी में प्रतिनिधि देने की प्रक्रिया तो प्रदेश विश्वविद्यालय प्रशासन ने शुरू भी कर दी है और इसे पूरा भी कर दिया जाएगा, लेकिन छात्रों को प्रतिनिधि देने की प्रक्रिया अभी तक विश्वविद्यालय प्रशासन ने शुरू नहीं की है। इस प्रोसेस को शुरू करने के लिए प्रशासन विश्वविद्यालय और कालेजों में एससीए के गठन होने का इंतजार कर रहा था, लेकिन इस प्रक्रिया को पूरा हुए भी दो माह का समय बीत चुका है, पर अभी तक छात्रों का एक प्रतिनिधि चुन कर उसे ईसी में शामिल करने का कार्य शुरू नहीं हुआ है। ईसी में शिक्षकों को तो प्रतिनिधित्व मिल भी जाएगा, लेकिन छात्रों को अभी इसके लिए इंतजार करना होगा।