चुनाव में केवल आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति

सोलन —  विधानसभा चुनाव में इस बार केवल आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति हो रही है। हिमाचली मुद्दे और भविष्य में विकास की चर्चा नेताओं के भाषण से गायब है। प्रचार का तरीका भी बदल गया है। बैनर पोस्टर तथा सोशल मीडिया के माध्यम से इतना अधिक प्रचार हो रहा है कि आम वोटर पूरी तरह से भ्रमित है। सही और गलत के बीच में चुनाव करना आम वोटर के लिए इतना आसान नहीं होगा। ‘दिव्य हिमाचल’ ने इन तमाम विषयों पर लेखनी और पत्रकारिता से जुड़े प्रबुद्ध लोगों के विचार लिए हैं। वरिष्ठ लेखक व साहित्यकार डा. शंकर वशिष्ठ का कहना है कि केंद्र सरकार ने अब तक जो भी घोषणाएं की हैं वह अभी तक धरातल पर नजर नहीं आ रही हैं। महंगाई आसमान छू रही है। जीएसटी व नोटबंदी ने आम आदमी को परेशान कर दिया है। इनका कहना है कि सोशल मीडिया इस बार प्रचार का नया हथियार बना है। व्हाइटएप्स, फेस बुक, टविटर सहित विभिन्न प्रकार की सोशल साइट पर एक-दूसरे को आरोप लगाने के नए नए हथकंडे अपनाए जा रहे हैं। हालांकि चुनाव आयोग बधाई का पात्र है। इस बार प्रिंट चुनाव प्रचार सामग्री पर काफी हद तक कम है, जबकि नेताओं के चुनावी खर्चे  पर भी पैनी नजर रखी जा रही है। उन्होंने कहा कि उचुनाव में इस बार हिमाचली मुद्दे गायब हैं। कोई यह नहीं बोल रहा है कि आम जनता को सड़क, शिक्षा व स्वास्थ्य जेसी सुविधाएं बेहतरीन रूप से दी जाएंगी। केवल एक दूसरे पर आरोप की राजनीति हो रही है। हिमालयन डान के संपादक व वरिष्ठ पत्रकार बलदेव चौहान का  कहना है कि अच्छी बात यह है कि इस बार लोकन मुद्दों पर चर्चा हो रही है। बिजली, पानी व स्वास्थ्य जैसे मुद्दे लोकल स्तर पर उठाए जा रहे हैं। इसके आलावा जीएसटी और नोटबंदी जैसे राष्ट्रीय मुद्दे भी काफी अधिक चर्चा में हैं। इनका कहना है कि पंपलेट और बैनर के माध्यम से प्रचार करने का तरिका लगातार बदल रहा है। अब इलेक्ट्रानिक्स मीडिया व सोशल मीडिया का अधिक चलन है। उन्होंने कहा कि नेताओं के भाषण में कहीं भी हिमाचली भविष्य की तस्वीर नजर नहीं आ रही हैं। व्यक्तिगत आरोपों की राजनीति हो रही है। आम जनता का दर्द न तो कोई महसूस कर रहा है और न ही इसके बारे मे कहीं चर्चा होती है।