जहां दिक्कतें भारी… वहां चले बिजली वाली गाड़ी

 धर्मशाला — प्रदेश में पहली बार शुरू होने वाली बैटरी चलित इलेक्ट्रिक वैन के रूट ऐसे सड़क मार्गों से दिए जाएं जो अभी भी नियमित परिवहन सुविधा से वंचित हैं। स्मार्ट सिटी धर्मशाला में ही करीब एक दर्जन से अधिक स्थान ऐसे हैं, जहां पक्के मार्गों की सुविधा होने और सैकड़ों आबादी के बावजूद नियमित परिवहन सुविधा नहीं है। पर्यटक स्थलों को जोड़ने के साथ-साथ स्थानीय लोगों को सुविधा देने के विषय को ध्यान में रखा जाए, तो एचआरटीसी की यह नई व्यवस्था कारगर सिद्ध होगी और शहर के ऐसे मार्ग नियमित परिवहन सुविधा से जुड़ेंगे, जहां आज भी कई किलोमीटर पैदल या टैक्सी का सहारा लेकर पहुंचना पड़ता है।  प्रदेश के अनेक शहरी क्षेत्रों की मुख्य मार्गों से आज भी कनेक्टिविटी नहीं हो पाई है। कहीं भीड़ भाड़ वाले मार्गों का बहाना है, तो कहीं बाजारों का और कई सड़क मार्ग ऐसे हैं जो बन कर पक्के तो हो गए, लेकिन उन्हें परिवहन सुविधा से जोड़ने के प्रयास ही नहीं हो पाए। ऐसे क्षेत्रों में पहुंचने के लिए या तो पैदल मार्च करना पड़ता है। ऐसे में बुद्धिजीवी वर्ग ने आवाज उठाई है कि परिवहन विभाग द्वारा प्रदेश के शहरी व पर्यटक स्थलों में चलने वाले करीब 50 से अधिक इलेक्ट्रिक छोटे वाहनों के रूट ऐसे बनाए जाएं, जिसमें वे क्षेत्र कवर हों जिनमें अभी तक किसी तरह की नियमित व सरकारी परिवहन सुविधा नहीं है। इन क्षेत्रों में रहने वाले बीपीएल परिवार टैक्सी के अतिरिक्त बोझ से बच सकें और शहरी क्षेत्रों की कनेक्टिविटी को भी बढ़ाया जा सके।

बसों में नहीं मिलती जगह

सकोह, सराह, सुधेड़ व दाड़ी चरान जैसे क्षेत्रों के बस स्टाप पर भी लोगों को बाहर से आने वाली बसों में स्थान नहीं मिल पाता है।  इन सड़कों पर  दर्जनों बसें दौड़ती हैं, लेकिन लांग रूट की सवारी के चक्कर में स्थानीय लोगों को सुविधा नहीं मिल पाती है।

यहां पर है सबसे ज्यादा समस्या

स्मार्ट सिटी धर्मशाला की बात करें तो शहर के सकोह से क्रिकेट स्टेडियम, जटेहड़ व धौलाधार कालोनी होते हुए दाड़ी तक करीब चार से छह किलोमीटर ऐसा सड़क मार्ग है, जहां किसी तरह की नियमित परिवहन सुविधा नहीं है। इसी तरह शहर के साथ सटे रामनगर, श्यामनगर और इनके आसपास के क्षेत्र के करीब तीन किलोमीटर से अधिक सड़क मार्ग बिना नियमित परिवहन सुविधा के हैं। सकोह से कोतवाली को जोड़ने वाला वाया रेडियो कालोनी मार्ग और ऐसे ही हालात चीलगाड़ी रोड तथा इंद्रूनाग के भी हैं। यहां सड़कें तो लंबी चौड़ी बना दी गई हैं पर न तो पर्यटकों को आने-जाने के लिए नियमित परिवहन सुविधा है न ही स्थानीय लोगों को सुविधा मिल पाती है।