तरक्की की राह ताक रहा कुसुम्पटी

प्रदेश की राजधानी शिमला कितना भार सह रही है, यह सभी जानते हैं। हालांकि वजन कम करने का बीड़ा कुसुम्पटी ने उठा लिया है, पर यहां भी ऐसी कई दिक्कतें हैं, जिनसे पार पाना नई सरकार के लिए चुनौती से कम नहीं। मसलन अवैध भवनों का नियमितीकरण, पेयजल योजनाएं, प्लानिंग एरिया और पर्यटन के लिहाज से विकास, सड़कों का विस्तारीकण आदि ऐसे मसले हैं, जिनके पूरा होने का ख्बाव यहां की जनता ने देखा है…

शिमला – राजधानी शिमला के भार को कम करने में कुसुम्पटी विधानसभा क्षेत्र सबसे बड़ा सहायक बन रहा है। शिमला से हटकर उसके बाहर के क्षेत्र में लोग लगातार बसते जा रहे हैं। यही कारण है कि यहां पर भवनों का नियमितीकरण सबसे बड़ा मुद्दा है, क्योंकि लोगों ने यहां पर बिना इजाजत मकान तो बना लिए, मगर अब एनजीटी समेत दूसरे कानून उनपर हावी हो चले हैं। यहां के लोगों के लिए राजनीतिक तौर पर भी यह एक बड़ा मुद्दा है, जिसका निराकरण करने की कोशिशें कर सरकार ने कीं, मगर असफल साबित हुईं। इस पर अब एनजीटी के फैसले की मार सबसे अधिक यहां के लोगों पर पड़ेगी। खैर इसका जो होगा वह समय बताएगा, परंतु शिमला का बोझ कम करने के लिए कुसुम्पटी विधानसभा क्षेत्र को व्यवस्थित रूप से बसाना बेहद जरूरी है। इसके लिए प्लांनिग एरिया को बढ़ाया जाए और पूरे सलीके के साथ क्षेत्र का विकास हो इसे सुनिश्चित किया जाए।  इस दिशा में वर्तमान सरकार ने कुछ ऐसे कदम भी यहां पर उठाए हैं, जिससे न केवल कुसुम्पटी के लोगों को लाभ मिलेगा, बल्कि प्रदेश भर से आने वाले लोगों को भी राहत मिलेगी। इस क्षेत्र के लोगों की अब सबसे बड़ी आस इंदिरा गांधी मेडिकल कालेज एवं अस्पताल के दूसरे चरण के काम के पूरा होने की है। आईजीएमसी के दूसरे चरण का कांप्लेक्स यहां पर 250 करोड़ रुपए की लागत से तैयार किया जाएगा, जिस पर काम शुरू हो गया है। नई सरकार से यहां के लोगों को आस है कि तय समयावधि में यह परिसर तैयार हो जाए, जिससे यहां बड़े पैमाने पर रोजगार का द्वार खुलेगा, वहीं शिमला का भी बोझ हलका हो जाएगा। कुसुम्पटी विधानसभा क्षेत्र के लोगों की नई सरकार से आस की बात करें तो यहां पर जंगली जानवरों के आंतक को खत्म कर लोगों की खेती को बचाने के साथ ढली मंडी के विस्तार की है। ढली मंडी, जो कि 54 बीघा में बसाई जानी थी, मात्र पांच बीघा में बसी है, जबकि यहां ऊपरी शिमला से फल व सब्जियां बड़ी मात्रा में पहुंचती है। इसके साथ यहां के लोगों को नई सरकार से पेयजल योजनाओं और सड़कों के विस्तारीकरण की भी उम्मीद है।  वर्तमान सरकार में कन्या महाविद्यालय मल्याणा को खोलने की बात हुई, भौंठ, डूमी, ढली व पीरन पंचायतों में पेयजल योजनाएं पहुंचाने के लिए काम शुरू हुआ, लेकिन अंजाम तक नहीं पहुंच पाया। नई सरकार में इन योजनाओं के पूरा होने की उम्मीद है। इन योजनाओं को विधायक की प्राथमिकता में रखा गया है, जिस पर अभी कई पेचीदगियां फंसी हैं। क्षेत्र की कुछ सड़कों के लिए वन विभाग की मंजूरी लेने की योजना भी पाइपलाइन में है। ये स्वीकृतियां मिलती हैं तो यहां पर सड़कों का विस्तार हो सकेगा। इनमें बलदेयां-मांदर, नालदेहरा-ओडू जैसी सड़कें हैं। एक सड़क एलजर्ली-कोटी-देवीधार है, जिसे भी देवीधार तक पहुंचाया जाना है। इस रोड का काम सालों पहले शुरू हुआ था, लेकिन पूरा नहीं हो पा रहा है।

ये हैं कमियां जिन्हें दूर करने की बेहद जरूरत

* पर्यटन की दृष्टि से एक भी जगह विकसित नहीं

* भवन नियमितीकरण के लिए रिटेंशन की टेंशन

* विधायक प्राथमिकता की योजनाएं अधूरीं

* जंगली जानवरों, खासकर बंदरों व सुअरों का आतंक

* स्कूल अपग्रेड किए गए, लेकिन स्टाफ की कमी है

* स्टाफ की कमी से जूझ रहे स्वास्थ्य संस्थान

क्षेत्र की विस्तार योजनाएं अधूरीं

क्षेत्र के दुर्गापुर तक प्लानिंग एरिया को बढ़ाया गया है। यहां बड़ी मात्रा में हरित पट्टी है, जिसे बचाकर क्षेत्र में निर्माण को बढ़ाने की चुनौती है, वहीं पर्यटन की दृष्टि से भी यह क्षेत्र विकसित किया जा सकता है, जो कि उस तरह से नहीं हो पाया है। नालदेहरा पर्यटन क्षेत्र भी इसमें आता है, जिसके विस्तार की योजनाएं अधूरी पड़ी हैं, जबकि यहां बड़ा रोजगार खुल सकता है।