तरौंतड़ा में छलका अमृत

 घुमारवीं — उपमंडल घुमारवीं की टकरेहड़ा पंचायत के तरौंतड़ा गांव में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के अंतिम दिन प्रवचनों की अमृतवर्षा करते हुए पंडित सुरेश भारद्वाज दाड़लाघाट वाले ने कहा कि जीवन की महान सच्चाई मौत है। कोई भी जीव इससे बच नहीं सका है। उन्होंने कहा कि संसार में जो भी जीव आता है, उसे संसार छोड़ कर अवश्य जाना पड़ता है। उन्होंने कहा कि जिस काम के लिए जीव धरती पर आया है, वह उस काम को करना भूल जाता है। भगवान का स्मरण ही एक ऐसा उपाय है, जिससे जीव प्रभु चरणों में बिना कष्ट के चला जाता है। मृत्यु सबके सिर पर सवार है। यह ऐतिहासिक सत्य है कि यह मौत सभी को साथ लेकर जाएगी। उन्होंने कहा कि जीव ही चौरासी के चक्कर में उलझा रहता है। उन्होंने कहा कि मृत्यु को सुधारना आवश्यक है। इस दौरान उन्होंने राजा परीक्षित की कथा सुनाई। उन्होंने कहा कि राजा परीक्षित जब अपनी साधना में लीन होकर परमात्मा से जुड़ चुका था तो तक्षक नाग ने उसे डस लिया तथा राजा का शरीर जल गया। उन्होंने बताया कि राजा ने श्रीमद्भागवत कथा सुनकर अपनी मौत को सुधार चुका था। उन्होंने कहा कि सात दिनोंकी कथा का अपना विशेष महत्त्व है, क्योंकि सात दिनों में यदि कोई जीव भागवत कथा सुनता है तो वह मृत्यु का सुधार कर लेता है। पंडित जी ने कहा कि सुधरी हुई मौत अमरता के शिखर पर चढ़ने की सीढ़ी है। कथा के समापन पर पूर्णाहुति के बाद अटूट भंडारे का आयोजन किया गया, जिसमें आसपास के हजारों लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया।