देर रात तक दनदनाती रही नेताओं की गाडि़यां

मटौर— प्रदेश में विधानसभा चुनावों का प्रचार सात नवंबर को शाम पांच बजे थम गया था। प्रत्याशियों को इस बार प्रचार के लिए बहुत कम समय मिला था, इसलिए सात नवंबर की रात और आठ को भी डोर-टू-डोर संपर्क साधने का प्रयास करते रहे। प्रत्याशियों और उनके समर्थकों की गाडि़यां विधानसभा क्षेत्रों में रात भर एक से दूसरी जगह दौड़ती रहीं। रात के अंधेरे में चली इस कैंपेन का असर यह हुआ कि प्रदेश में कुछ जगह मारपीट की अप्रिय घटनाएं भी घटीं। कहीं किसी का सिर फोड़ दिया गया, तो कहीं किसी से मारपीट हुई। इस सारे घटनाक्रम के अलावा आठ नवंबर को दिन भर ज्योतिषियों की भविष्यवाणियां भी होती रहीं। कहीं ज्योतिषी कांग्रेस का मिशन रिपीट बताते रहे, तो कहीं भाजपा के सिर पर सत्ता का ताज पहनाया जाता रहा। यही नहीं, कुछ जगह तो प्रत्याशियों की हार-जीत के लिए शर्त भी लगाई गई हैं, हालांकि यह नई बात नहीं है। वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में भी जिला कांगड़ा की एक सीट के लिए भाजपा उम्मीदवार की जीत के लिए एक लाख की शर्त लगाई गई थी, लेकिन बाद में शर्त लगाने वाला हार गया था और उसे दूसरे व्यक्ति को एक लाख रुपए देने पड़े थे। इस बार भी प्रदेश में ऐसी शर्तें लगाने की चर्चा है। ग्रामीण क्षेत्रों में पार्टी समर्थकों द्वारा लोगों से उनके नेता के पक्ष में वोट डालने के लिए रात के अंधेरे में कसमें भी डाली गईं। जहां लोग खाने-पीने वाले थे, उनके लिए पार्टी समर्थकों द्वारा पार्टियों का आयोजन भी किया गया।

बॉस! कइयों के करियर का सवाल

जिसने जो मांगा, वह उसे उसी समय देने का प्रयास किया गया। हर बार के चुनाव में क्योंकि स्थिति साफ नहीं है, इसलिए सब असमंजस में हैं। यही कारण है कि प्रत्याशी किसी तरह का रिस्क इस बार लेना नहीं चाहते। इसके अलावा कुछ प्रत्याशियों की साख दाव पर लगी है, क्योंकि अगर वे चुनाव हार जाते हैं, तो उनके राजनीतिक करियर पर संकट आ सकता है। खैर, जो भी हो इस बार चुनाव मैदान में डटे उम्मीदवारों ने खूब पसीना बहाया है।