नई सरकार में नया महासंघ

वर्तमान कार्यकारिणी का कार्यकाल पूरा, मार्च महीने तक ली है एक्सटेंशन

शिमला – प्रदेश में नई सरकार के गठन के बाद नए महासंघ का भी गठन होगा। राज्य में कर्मचारियों का नेतृत्व करने वाले अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के राजनीतिक समीकरण भी अब नए सिरे से उभरेंगे। मौजूदा महासंघ की कार्यकारिणी का कार्यकाल पिछले साल अक्तूबर महीने में पूरा हो गया था, जिसके बाद एक साल की एक्सटेंशन ली, अब मार्च महीने तक की एक्सटेंशन पर है। इस दौरान यहां विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद महासंघ अपने चुनाव की प्रक्रिया को शुरू करेगा और सभी जिलों में चुनाव करवाए जाएंगे। हर सरकार के साथ महासंघ का नेतृत्व भी बदलता है, जैसा अभी तक देखने में आया है। इसके बाद महासंघ के गुट भी बन जाते हैं, क्योंकि यहां हर बार सत्ता परिवर्तन होता रहा, लिहाजा कर्मचारी महासंघ में भी परिवर्तन हुआ। सत्ता परिवर्तन के साथ नया महासंघ सरकार की पसंद के नेताओं का खड़ा हो जाता है, जिनकी आस्थाएं उस राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ रहती हैं, जो पुराना महासंघ रहता है। इसे दूसरे दल की सरकार ने मान्यता दी होती है, वह तब अलग गुट नजर आता है। हालांकि ये परिस्थितियां अगले महासंघ के गठन में सामने आएंगी या नहीं, यह तय नहीं है, क्योंकि अभी यहां पर सत्ता परिवर्तन को लेकर कुछ नहीं कहा जा सकता। चुनाव नतीजे आने के बाद ही यह स्थिति क्लीयर होगी। महासंघ के अपने चुनाव में ही इसकी स्थिति साफ होगी कि कौन अगला अध्यक्ष या महासचिव होगा। इस समय एसएस जोगटा महासंघ के अध्यक्ष हैं, जिनके साथ महासचिव के पद पर गोपाल कृष्ण हैं। दोनों नेता अलग-अलग गुटों से थे, जिनको एक होकर चलने की नसीहत खुद मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने दी। उनके कहने पर दो धड़े एक तो हुए, लेकिन एक होकर नहीं चल पाए, जिसके कई कारण रहे। इस वजह से प्रदेश में कर्मचारियों का जो दबदबा रहता था, वह नहीं रहा। मात्र एक जेसीसी की बैठक हुई, जिसमें भी प्रमुख मुद्दे हल नहीं हो पाए। अगले महासंघ के गठन में इन बातों पर बड़ा ध्यान दिया जाना जरूरी है कि महासंघ का नेतृत्व किस तरह का होना चाहिए।