नगरोटा सूरियां में सरकारी पानी ने 248 किए बीमार

By: Nov 24th, 2017 12:11 am

अमलेला में दूषित पानी की सप्लाई का आरोप, उपप्रधान भी उल्टी-दस्त की चपेट में

नगरोटा सूरियां— उपमंडल के तहत पंचायत अमलेला के गांव जरपाल, अमलेला अपर तथा जोटलू के करीब 248 लोग उल्टी, दस्त के शिकार हो गए हैं। बीमारों में बच्चे, बूढ़े और औरतें सभी शामिल हैं। आरोप है कि आईपीएच विभाग द्वारा सप्लाई किए जा रहे दूषित पानी के चलते वे इस बीमारी की चपेट में आए हैं। पूरे गांव में लोग दहशत में हैं। गांव के लोगों में भारी रोष है कि आईपीएच विभाग द्वारा जिस टैंक से उन्हें पानी की सप्लाई दी जाती है, वह एक तो अंडरग्राउंड है और उसकी सफाई भी नहीं की जाती है। टैंक बने 20 वर्ष से अधिक समय हो गया है, लेकिन इसकी सफाई कभी नहीं की गई। हैरानी की बात है कि विभाग द्वारा साथ में एक साल पहले नया टैंक बनाया गया था, लेकिन आज तक उसमें पानी नहीं डाला गया। जरपाल गांव के अस्पताल में दाखिल लोगों सक्षम, प्रमोद, सर्वजीत, चंचला, समीक्षा, अनुज, भागो आदि ने बताया कि वे दो दिनों से बीमार हैं। दूषित पानी की वजह से गांव के दो सौ के करीब लोग भी इस बीमारी की चपेट में आकर अस्पताल के चक्कर लगा रहे हैं। नगरोटा सूरियां के खंड चिकित्सा अधिकारी मोहन चौधरी ने गुरुवार को अपनी टीम और आशा वर्कर के साथ गांव का दौरा किया तथा घर-घर जाकर लोगों के स्वास्थ्य की जांच की और उन्हें दवाइयां दी। उन्होंने गांव में उल्टी-दस्त के 200 से ज्यादा मरीज होने की पुष्टि करते हुए बताया कि अन्य लोग भी इस बीमारी से प्रभावित हो सकते हैं। बीमारी की वजह दूषित पानी हो सकता है। धर्मशाला से डा. गुरमीत ने यहां से पानी तथा अन्य सैंपल इकट्ठा किए हैं। टेस्ट रिपोर्ट आने के बाद इसकी पूरी पुष्टि होगी। उधर, पंचायत के प्रधान प्रभात चौधरी ने कहा कि आईपीएच विभाग की गलती के कारण ही ऐसा हुआ है। पानी की सप्लाई के लिए इस्तेमाल होने वाले टैंक की सफाई नहीं की जाती है। एक नया टैंक बनाया गया, लेकिन वह भी सफेद हाथी बना हुआ है। अब जब लोग बीमार हुए हैं तोे विभाग के लोग जाग उठे तथा सफाई कर दी और कहा जा रहा है कि हमारे टैंक साफ हैं। पंचायत के उपप्रधान प्रमोद सिंह ने भी कहा कि वह स्वयं बीमार हो गए हैं। पानी के टैंक की सफाई नहीं की जाती है। टैंक के अंदर मेंढक, छिपकली जैसे जीव मरे पड़े रहते हैं। उधर, इस बारे में आईपीएच विभाग के अधिशाषी अभियंता विशाल जसवाल ने बताया कि वह स्वयं गांव जरपाल में गए थे। दूषित पानी की सप्लाई के आरोप झूठे हैं। टैंक की सफाई की जाती रही है। यदि टैंक का पानी गंदा होता तो दूसरे गांव में भी लोग बीमार होते, क्योंकि इस टैंक से पांच लाइनों में पानी की सप्लाई की जाती हैं। विभाग ने फिर भी एहतियात बरतते हुए पानी के सैंपल लिए हैं तथा टैंक व सभी लाइनों को दोबारा चैक किया जा रहा है। उधर, सहायक अभियंता सलीम ने कहा कि टैंक साफ है। सभी पाइपों को चैक किया जा रहा है।  एसडीएम जवाली मोदी ने बताया कि उन्होंने मामले की जानकारी लिते ही एसडीओ व बीएमओ से बात की है तथा सभी लोग गांव में जाकर जांच कर रहे हैं। रिपोर्ट मंगवाई गई है तथा आईपीएच विभाग का भी जांच करने के कड़े निर्देश जारी किए हैं। उधर, बीएमओ मोहन चौधरी ने कहा कि सभी लोग उबला हुआ पानी पिएं तथा घरों में जो भी पानी के टैंक बनाए हैं, उन्हें साफ रखें। सफाई का विशेष ध्यान रखें व दवाई समय पर लें। स्थिति पूरी तरह काबू में है। उधर, समाज सेवक संजय गुलेरिया भी स्थानीय अस्पताल में लोगों को देखने पहुंचे। उन्होंने कहा कि हैरानी की बात है कि आईपीएच विभाग सोया हुआ है तथा उसकी गलती के कारण गांव के लोग गंदा पानी पीने के कारण बीमार हुए हैं। इसके लिए जो भी दोषी है, उस पर कार्रवाई की जाए। विभाग को शिमला प्रकरण नहीं भूलना चाहिए। संजय गुलेरिया ने इस दौरान बीमारों के लिए दवाई की 200 बोतलें बीएमओ को सौंपी, जिन्हें  गांव में लोगों को बांटा गया। उन्होंने कहा कि आगे भी बीमारों की हर जरूरी मदद की जाएगी।


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