नोटबंदी पर वार-पलटवार

By: Nov 8th, 2017 12:15 am

जेटली ने बताया ऐतिहासिक फैसला, मनमोहन सिंह बोले संगठित लूट

नई दिल्ली— प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नोटबंदी के ऐतिहासिक फैसले का एक वर्ष पूरा होने से एक दिन पहले मंगलवार को सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने इस मुद्दे पर एक-दूसरे पर जमकर निशाना साधा। सत्तारूढ़ दल ने जहां नोटबंदी को जायज, जरूरी तथा देश हित में करार दिया, वहीं कांग्रेस ने इसे संगठित तथा कानूनी लूट बताया और कहा कि इससे अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान पहुंचा और अमीरों ने इसकी आड़ में अपना काला धन सफेद किया। कांग्रेस की ओर से मोर्चा संभालते हुए गुजरात चुनाव प्रचार के लिए अहमदाबाद गए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने नोटबंदी को सरकार की सबसे बड़ी भूल बताते हुए दोहराया कि यह एक संगठित लूट और कानूनी डाका थी। जाने-माने अर्थशास्त्री ने कहा कि सरकार ने नोटबंदी का जो मकसद बताया, वह पूरा नहीं हुआ। कालेधन वालों को पकड़ा नहीं जा सका, वे लोग भाग गए। जीएसटी ने छोटे कारोबारियों की कमर तोड़ दी। इन दोनों कदमों से भारतीय अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान हुआ। जीएसटी के अनुपालन की शर्तें छोटे कारोबारियों के लिए बुरे सपने की तरह है। आम लोगों को इससे काफी परेशानी हुई है। मनमोहन सिंह ने कहा कि मैं गर्व के साथ कह सकता हूं कि हमने अपने कार्यकाल के दौरान करीब 14 करोड़ लोगों को गरीबी से उबारा। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने नोटबंदी को बिना सोचे-समझे जल्दबाजी में उठाया गया कदम बताया और कहा कि इसके किसी भी लक्ष्य की प्राप्ति नहीं हुई। उन्होंने बुलेट ट्रेन परियोजना को अहंकार की कवायद बताया।  उन्होंने कहा कि क्या बुलेट ट्रेन पर सवाल उठाने से कोई विकास विरोधी और जीएसटी-नोटबंदी पर सवाल उठाने से कोई टैक्स चोर हो जाता है। हर किसी को चोर और राष्ट्रविरोधी मानने का रवैया लोकतंत्र की बुनियाद के लिए खतरा है। मनमोहन ने कहा कि बुधवार को हम उस विनाशकारी नीति का एक साल पूरा कर रहे हैं जो हमारे देश की जनता पर थोपी गई थी। आठ नवंबर देश की अर्थव्यवस्था के लिए तो काला दिन था ही, यह लोकतंत्र के लिए भी एक काला दिन था। एक साल में आयात 23 प्रतिशत बढ़कर 45000 करोड़ रुपए से ऊपर चला गया। इसके लिए बड़े पैमाने पर नोटबंदी और जीएसटी को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में एक भी देश ऐसा नहीं है, जिसने ऐसा विनाशकारी कदम उठाया हो, जिसमें 86 प्रतिशत करंसी का सफाया हो जाए। उधर, वित्त मंत्री अरुण जेटली ने नोटबंदी के फैसले को भारतीय अर्थव्यवस्था के इतिहास का ऐतिहासिक क्षण करार दिया और नोटबंदी के बचाव में लिखी एक फेसबुक पोस्ट में कहा कि यह दिन देश को काले धन की भयावह बीमारी से बचाने के इस सरकार के संकल्प को दर्शाता है। हमारा देश जानता है कि किस तरह तत्कालीन सरकार ने इस (काले धन के) मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश को भी वर्षों तक अनसुना कर दिया। काले धन के खिलाफ लड़ाई की अनिच्छा का एक और उदाहरण बेनामी प्रापर्टी ऐक्ट को लागू करने में 28 वर्षों की देरी है। वित्त मंत्री ने कहा कि नोटबंदी के बड़े उद्देश्यों में एक भारत को कम नकदी वाली अर्थव्यवस्था बनाकर सिस्टम में काले धन के प्रवाह को घटाना था। तब के मुकाबले अब सर्कुलेशन में कम करंसी रह जाने से स्पष्ट होता है कि यह उद्देश्य पूरा हो चुका है। जेटली ने अपनी विस्तृत पोस्ट में नोटबंदी के बाद टैक्स का दायरा बढ़ने का भी हवाला दिया। उन्होंने लिखा कि आम लोगों के साथ-साथ संस्थानों पर भी शिकंजा कसा गया। इन्कम टैक्स डिपार्टमेंट ने 1150 फर्जी कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की, जिनका इस्तेमाल 22000 लाभार्थियों ने 13300 करोड़ रुपए के काले धन को सफेद करने में किया। जेटली ने कहा कि यूपीए और एनडीए में एक मूलभूत अंतर है। एक जगह पालिसी पैरालिसिस दिखता है तो दूसरी तरफ स्ट्रक्चरल रिफार्म। हैरानी इस बात की है कि हम नैतिक रूप से सही कदम उठा रहे हैं और उसको लूट कहा जा रहा है। हमने काले धन के खिलाफ कार्रवाई की। यह सैद्धांतिक तौर पर सही है। लूट तो 2जी, कॉमनवेल्थ और कोयला घोटाले में हुई। इसलिए मुझे लगता है कि एथिक्स के मामले में हमारा और कांग्रेस का नजरिया अलग है। हम देश की सेवा करना चाहते हैं, इसलिए प्राथमिक तौर पर नपे-तुले कदम उठाए। भाजपा की तरफ से मानते हैं कि इस देश को एक विकसित देश बनना है तो यह भी जरूरी है कि लैस कैश पर ध्यान देना होगा। साफ-सुथरी इकोनॉमी होना जरूरी है। पार्टी और सरकार एक साथ खड़े हैं।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App