न एंड्रॉयड फोन मिले, न हथियार

शिमला – हिमाचल के मंडी में वन रक्षक होशियार सिंह की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत के बाद राज्य सरकार ने ऐलान किया था कि फोरेस्ट गार्ड्स को सुरक्षा के मद्देनजर हाईटेक किया जाएगा। न केवल उन्हें हथियार मुहैया करवाए जाएंगे, बल्कि एंड्रॉयड फोन भी दिए जाएंगे। चुनावों से कुछ अरसा पहले ही यह ऐलान किया गया था, मगर यह योजना धरी की धरी रह गई। इस योजना के पीछे मकसद यही बताया गया था कि घने जंगलों में किसी भी अप्रत्याशित घटना के दौरान फोरेस्ट गार्ड अपनी सुरक्षा सुनिश्चित कर सकें। मौके से ही एंड्रॉयड फोन के जरिए पुलिस या फिर उच्चाधिकारियों को सूचित कर सकें, मगर हैरानी की बात है कि यह योजना सिरे ही नहीं चढ़ पाई। मंडी में जिन परिस्थितियों में फोरेस्ट गार्ड होशियार सिंह की मौत हुई थी, उसे लेकर लोग मंडी से लेकर शिमला तक सड़कों पर उतर आए थे। मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने इसकी सीबीआई जांच के आदेश दिए, जो अब जारी है, मगर अभी भी घने जंगलों की सुरक्षा में डटे फोरेस्ट गार्ड सुरक्षित नहीं हैं। प्रदेश में हर वर्ष करोड़ों की कीमत के हरे पेड़ों का अवैध कटान होता है। मंडी, चंबा, शिमला, कुल्लू और हमीरपुर के साथ-साथ बिलासपुर जिले इसके लिए विख्यात हैं। कहीं सरकारी भूमि पर खैर का कटान होता है तो कहीं देवदार के साथ अन्य बेहद कीमती प्रजातियों का। हिमाचल के तारादेवी, चंबा की एहल्मी बीट के साथ-साथ कोटखाई व अन्य क्षेत्रों में बड़े अवैध कटान विधानसभा के अंदर व बाहर बड़ा मुद्दा बन चुके हैं। भाजपा ने कई बार वीरभद्र सरकार की इस मसले पर विधानसभा के अंदर ही बड़ी घेरेबंदी की। यहां तक कि सदन की कार्रवाई भी बाधित हुई, मगर वन सुरक्षा के लिए तैनात वन कर्मियों के लिए जो योजनाएं बनी थी, वह फाइलों तक ही सीमित रही। इसमें यह भी कहा गया था कि एंड्रॉयड फोन व हथियारों के लिए वन रक्षकों वन विभाग आर्थिक सहायता उपलब्ध करवाएगा। कुछ राशि वन रक्षकों को भी जुटानी होगी, मगर यह योजना फाईलों से बाहर नहीं निकल पाई। जबकि संबंधित सभी जिलों में शायद ही ऐसा कोई वर्ष होगा कि खैर व अन्य बेशकीमती प्रजातियों के कटान की सूचनाएं न आती हों।