पराली से बनेगी बायोऊर्जा

सीएम बोले, सरकार निजी कंपनी संग मिलकर सुलझाएगी समस्या

चंडीगढ़ – पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंदर सिंह ने बुधवार को  विधानसभा में बताया कि उनकी सरकार फसली अवशेष को जलाने की समस्या को रोकने और इससे होने वाले प्रदूषण से राज्य को मुक्त करवाने के लिए कार्य योजना पर काम कर रही है। खन्ना के विधायक गुरकीरत सिंह द्वारा उठाए गए प्रश्र का जब ऊर्जा और सिंचाई मंत्री राणा गुरजीत सिंह का जवाब दे रहे थे तो मुख्यमंत्री ने बीच में दखल देते खुलासा किया कि राज्य सरकार ने हाल ही में समस्या के हल के लिए चेन्नई आधारित कंपनी से सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं और फसली अवशेष को निपटाने के अन्य तरीकों पर कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस समझौतों से न्यू, कंपनी धान की पराली को बायो ऊर्जा में तबदील करने के लिए 400 प्रोसैसिंग प्लांट स्थापित कर सकेगी। कैप्टन अमरेंदर सिंह ने बताया कि राज्य में कुल 20 मिलियन टन धान की पराली पैदा होती है, जिसमें से 19 मिलियन टन न्यू, ्रकी इन इकाइयों में इस्तेमाल की जाएगी। इसके साथ पराली जलाने के कारण वातावरण को हो रहे नुकसान से बचा जा सकेगा। इससे पहले राणा गुरजीत सिंह ने सदन में बताया कि राज्य सरकार नई और नवीनीकरण ऊर्जा स्रोत नीति-2012 के अधीन धान और गेहूं के अवशेष आधारित उद्योग सहित ऊर्जा पावर प्रोजेक्ट स्थापित करने के लिए रियायतें दे रही हैं, जिनमें सीएलयू ईडीसी फ ीस से छूट शामिल है। इसके अलावा एनआरएसई ऊर्जा पैदा करने और पैदा करने वालों द्वारा अपनी इकाइयों के लिए प्रयोग करने के लिए बिजली कर से 100 प्रतिशत छूट दी जा रही है। मंत्री ने बताया कि प्रोजेक्ट के निर्माण और टेस्टिंग के लिए खपत की बिजली पर 100 प्रतिशत बिजली कर छूट भी मुहैया करवाई जा रही है।