पहले कमरे की तलाश, फिर क्लास
धर्मशाला – टू ईयर डिप्लोमा इन एलिमेंटरी एजुकेशन (डीएलएड) का कोर्स करने वाले छात्रों को होस्टलों में रहने की सुविधा नहीं मिल पा रही है। कमरों का जुगाड़ करने में जुटे छात्र-छात्राएं अब डाइट संस्थान में कक्षाएं लगाने भी नहीं पहुंच पा रहे हैं। दो दिन से डाइट संस्थान पूरी तरह से खाली चल रहे हैं। ऐसे में दूरदराज के क्षेत्रों के लोगों को महंगे कमरों में रहने को मजबूर होना पड़ रहा है। मैरिट और कैटेगरी के आधार पर भी योग्य उम्मीदवारों को होस्टल की दौड़ से बाहर कर दिया गया है। जानकारी के अनुसार होस्टलों में पहले दो सत्रों के लिए ही भावी अध्यापकों को ठूंस-ठूंस भरा गया है। इससे 30 की कैपेसिटी में भी 90-90 छात्र-छात्राएं गुजारा कर रहे हैं, लेकिन अब नए सत्र के छात्रों को होस्टल सुविधा न मिलने से परेशान होना पड़ रहा है। डीएलएड के शैक्षणिक सत्र 2017-19 के नए बैच ने शिक्षा विभाग को कठघरे में खड़ा कर दिया है। डाइट में इन्फ्रास्ट्रक्चर, प्राध्यापकों और स्टाफ की कमी के साथ-साथ छात्रों को अब होस्टल सुविधा न मिलने के कारण भी समस्या से जूझना पड़ रहा है। प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय द्वारा डीएलएड का तीसरा सेशन तो शुरू कर दिया गया है, लेकिन इन्फ्रास्ट्रक्चर को पूरी तरह से भूला दिया है। छात्रों को मैरिट और कैटेगरी के अनुसार योग्य पाए जाने पर भी होस्टल नहीं मिल पा रहा है। इससे पहले प्रदेश के सभी 12 डाइट में 2015-17 और 2016-18 सेशन के छात्र रह रहे हैं। अभी तक इन दोनों बैच के एग्जाम नहीं हो पाए हैं। ऐसे में अब तीसरे सेमेस्टर के छात्रों को होस्टल की सुविधा न मिलने से किराए के महंगे कमरों में रहना पड़ रहा है।
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