प्रदूषण से सुंदरता को लगता ग्रहण

शहनाज हुसैन

लेखिका विश्व ख्याति प्राप्त  सौंदर्य विशेषज्ञ हैं

वातावरण में जहरीला धुआं, धुंध तथा रासायनिक प्रदूषण जहा ंसांस, फेफड़ों तथा दिल की बीमारियों का मुख्य कारण माना जाता है, वहीं दूसरी ओर वातावरण में फैले प्रदूषण की वजह से हवा में नमी की कमी हो जाती है। जिससे त्वचा रूखी, सूखी होनी शुरू हो जाती है। जिससे त्वचा में फोडे़, फुंसी, चकते, काले दाग धब्बे, झुर्रियां आनी शुरू हो जाती हैं, जिससे आप बदसूरत दिखने शुरू हो जाते हैं तथा बुढ़ापा समय से पहले दस्तक देना शुरू कर देता है। त्वचा पर वायू प्रदूषण का सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ता है। वायू प्रदूषण सबसे पहले त्वचा के बाहरी स्तर पर प्रहार करता है, जिससे त्वचा पर प्रदूषण के विषैले तत्त्व जम जाते हैं त्वचा में खुजली तथा एलर्जी पैदा हो जाती है। प्रदूषण का त्वचा पर तत्कालीन तथा दीर्घकालीन दोनों प्रकार के प्रभाव होते हैं। पटाखों, औद्योगिक ईकाइयों आदि के रासायनिक प्रदूषण से वातावरण में आक्सीजन की मात्रा में कमी आती है, जिससे त्वचा का लचीलापन खत्म हो जाता है तथा एलर्जी, गंजापन तथा अन्य त्वचा के रोगों को बल मिलता है तथा आप समय से पहले ही बूढ़े तथा थके हुए दिखना शुरू हो जाते हैं। उसे निर्जिव त्वचा, शुष्क तथा उलझे बाल तथा प्राणशक्ति में कमी आ जाती है, शहरी क्षेत्रों में रहने वाले विशेषकर महिलाओं को प्रदूषण के प्रभाव से बचने के उपाय करने चाहिए। प्रदूषण की वजह से त्वचा पर जमे मैलए गंदगी तथा प्रदूषक तत्वों की त्वचा से नियमित सफाई अत्यंत महत्त्वपूर्ण मानी जाती है। शुष्क त्वचा के मामले में क्लींजिंग क्रीम या जैल का प्रयोग कीजिए। तैलीय त्वचा के मामले में क्लीजिंग मिल्क या फेस वाश का उपयोग कीजिए। तैलीय त्वचा में क्लीजिंग के बाद फेशियल स्क्रब का प्रयोग कीजिए।