प्रदेश के तीन जरूरी नेशनल प्रोजेक्ट पर केंद्र चुप

By: Nov 20th, 2017 12:20 am

श्रीरेणुका, किशाऊ, जिस्पा परियोजनाएं ठंडे बस्ते में, एसपीवी बनने के बाद भी कार्रवाई नहीं

शिमला— हिमाचल प्रदेश में प्रस्तावित राष्ट्रीय महत्त्व के प्रोजेक्टों पर केंद्र सरकार उदासीन रवैया अपनाए हुए है। आलम यह है कि कोई भी राजनीतिक दल भी इन मामलों को प्रमुखता नहीं दे रहा है, जिससे ये तीनों प्रोजेक्ट खटाई में ही पड़े हैं। श्रीरेणुका डैम निर्माण में अदालत के आदेशों के बाद कुछ लोगों को मुआवजा तो मिला, लेकिन परियोजना टस से मस नहीं हो पा रही। ऐसा ही हाल किशाऊ डैम परियोजना का है, जिसके लिए एसपीवी का भी गठन हो चुका है, फिर भी मामला आगे नहीं बढ़ रहा, वहीं जिस्पा डैम परियोजना भी ठंडे बस्ते में पड़ी हुई है। हिमाचल प्रदेश के लिए ये तीनों प्रोजेक्ट महत्त्वपूर्ण हैं, वहीं कई दूसरे राज्यों के लिए भी फायदेमंद हैं। श्रीरेणुका से दिल्ली राज्य को पानी जाना है, जहां पर गर्मियों में पानी का अत्यधिक संकट रहता है। राष्ट्रीय राजधानी के पानी के लिए भी योजना सालों से लटकी हुई है, जिसके कई मामले यूं ही लंबित हैं। उधर, सालों बाद किशाऊ डैम के निर्माण की उम्मीद जगी थी, लेकिन केंद्र सरकार शुरूआत में कुछ कदम उठाने के बाद इसे भूल गई। बताया जाता है कि इस मसले पर हिमाचल व उत्तराखंड राज्यों ने केंद्र सरकार को पत्र भी लिखा है, जिसमें कहा गया है कि मामले में तेजी लाई जाए और वित्तीय पक्ष को सुलझाया जाए। इसके लिए स्पेशल पर्पज व्हीकल का गठन भी केंद्र सरकार के कहने पर ही किया गया था। करीब एक साल पहले इसका गठन किया गया, लेकिन अब इसके माध्यम से कोई कदम नहीं उठाया जा रहा। इस पर अधिकारी भी अब चुप्पी साध गए हैं। उधर, लाहुल-स्पीति के जिस्पा गांव में प्रस्तावित जिस्पा डैम व परियोजना को लेकर भी कोई समाधान नहीं निकल पाया है। यहां प्रोजेक्ट का डिजाइन बदलने के बाद भी लोगों का विरोध चल रहा है, जिसे सुलझाने की कोशिश केंद्र सरकार की ओर से नहीं हो रही। प्रदेश का पावर कारपोरेशन इसका निर्माण करेगा, जिसने काफी हद तक सर्वेक्षण आदि का काम भी पूरा कर दिया है, मगर अभी तक ये ही तय नहीं है कि इसके लिए केंद्र सरकार पैसा देगी और देगी तो कितना पैसा।

जिस्पा परियोजना पर आड़े आ रही भारत-पाक संधि

लाहुल-स्पीति में जिस्पा के लिए पाकिस्तान का दल दौरा भी कर चुका है, जहां से भी भारत सरकार को मंजूरी नहीं मिली है। क्योंकि इसमें भारत-पाक संधि बीच में आ रही है। कुल मिलाकर राष्ट्रीय महत्त्व के इन तीनों प्रोजेक्टों पर धूल पड़ी हुई है जिसे हटाने के लिए कोई भी गंभीर नहीं है।


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