बच्चें के लिए जो सपने देखे, कैसे होंगे पूरे

जुखाला  — जब बुरा वक्त आता है तो कोई साथ नहीं देता ऊपर से समाज भी असहाय महिला की सहायता करने की अपेक्षा कीचड़ उछाल कर मानसिक प्रताड़नाएं देकर कमजोर कर देता है।  यह दर्द इंद्रा देवी 38 पत्नी स्व. अरविंद सिंह गांव भराथू-कुड्डी पंचायत ने सुनाते हुए कहा कि उसके पति अरविंद सिंह एसीसी बरमाणा में कार्यरत थे, जिनकी कुछ महीने पूर्व दिल का दौरा पड़ने से अकस्मात मृत्यु हो गई थी। पति की मृत्यु के बाद आज उसे दो बच्चों का पालन-पोषण करना ओर उनकी शिक्षा का खर्चा वहन करना भी मुश्किल हो गया है। एसीसी से मिलने वाली नाममात्र पेंशन से तो रोटी तक का भी गुजारा नहीं हो रहा है, वहीं पर उनका बेटा जो कि  डोगरा आईटीआई  चांदपुर में मेकेनिकल की ट्रेनिंग कर रहा है औऱ आर्थिक मंदी के कारण उसकी लगभग पांच महीने की फीस देने को है। उनके पति ने बच्चों को लेकर जो उज्ज्वल भविष्य का सपना देखा था वे उनकी मृत्यु के बाद पूरा करने में उन्हें भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं पर उनकी बेटी की शिक्षा पर भी आर्थिक स्थिति मंदी होने के कारण भारी असर पड़ रहा है। असहाय इंद्रा देवी का कहना है कि उसके पति भाजपा के भी कार्यकर्ता थे परंतु उनकी मृत्यु के बाद पार्टी के नेताओं ने भी सिर्फ अफसोस जताकर अपनी औपचारिकता पूरी की। वहीं उनके मदद मांगने पर आजतक कोई सहायता नहीं की।  एसीसी  कार्यकारिणी के प्रतिनिधियों ने भी आज तक कोई मदद की बात नहीं की, जबकि उनके पति एसीसी में कार्यरत थे। वहीं विधवा पेंशन को लेकर सारी कागजी औपचारिकताएं पूरी करने के बावजूद आजतक विधवा पेंशन नहीं मिली। इंद्रा देवी ने एसीसी प्रबंधन से मांग की है कि उसके पति की जगह उसके बेटे को ट्रेनिंग के बाद नौकरी का व्यवधान किया जाए वहीं पर जिला प्रशासन भी उसकी आर्थिक स्थिति को सदृढ़ करने और बच्चों का पालन-पोषण करने के लिए विधवा पेंशन  लगाई जाए।