बूंदाबांदी से ही टरका गए बादल

बल्ह घाटी में गंदम की बिजाई में हो रही देरी, सिंचाई योजनाएं न होने से बिगड़े हालात

रिवालसर — बल्ह घाटी में पिछले सात दिन से आसमान में बादलों को मंडराते देख किसानों-बागबानों के चेहरे खिले थे, मगर बादलों के बल्ह घाटी में न  बरसने से अब किसानों में मायूसी छा गई है। हल्की बूंदाबांदी से कहीं-कहीं धूल-मिट्टी से राहत तो मिली है, लेकिन जमकर मेघ बरसना इस समय बहुत जरूरी है। घाटी के बहुत से क्षेत्रों खासकर ऊपरी बल्ह घाटी में अभी भी गंदम की बिजाई होना बाकी है, जो कि आसमानी वर्षा पर ही निर्भर है।अगर समय पर बादल नहीं बरसते हैं तो किसानों को भारी आर्थिक नुकसान होने की संभावना है। क्योंकि अगर समय पर बारिश नहीं होती है, तो जिन किसानों ने फसलों की बिजाई कर भी दी है, उनके खेतों को भी पानी न मिलने के कारण उनकी कड़ी मेहनत पर पानी फिर सकता है। महंगी खाद व बीज खरीदने के बावजूद इन हालातों में किसान मजबूर हैं कि करें तो क्या करें। घाटी के अधिकतर पंचायत क्षेत्रों के किसान पर्याप्त सिंचाई व्यवस्था के अभाव में आज भी महरूम हैं। इन किसानों का कहना है कि अगर पर्याप्त सिंचाई व्यवस्था सरकार करे तो बल्ह घाटी के किसान कई प्रकार की खेती कर मालामाल हो सकते हैं। क्षेत्र के किसान जगतपाल, कुलदीप, गगन, यदोपति, गंगा राम, हेतराम, रूप देव आदि किसानों ने सरकार से मांग की है कि बल्ह घाटी के किसानों की उपजाऊ भूमि  को पर्याप्त सिंचाई सुविधाओं से जोड़ा जाए। सहायक अभियंता सिंचाई एवं जनस्वास्थ्य उपमंडल रिवालसर प्रभु राम का कहना है कि बल्ह घाटी के ऊपरी क्षेत्र की आठ पंचायतों की लगभग 1250 हेक्टेयर भूमि को सिंचाई सुविधाओं से जोड़ने के लिए सुंदरनगर स्थित बीबीएमबी नहर से पानी उठाने को सरकार ने एक योजना तैयार की है, जिसका सर्वेक्षण पूरा हो चुका है व इसकी डीपीआर बनाई जा रही है। आने वाले समय में किसानों को इसका भरपूर लाभ मिलेगा।