भोरंज पर भाजपा का राज, कांग्रेस को 32 साल से चमत्कार की आस
भोरंज – विधानसभा क्षेत्र भोरंज में कांग्रेस भाजपा का तिलिस्म 32 वर्षों से नहीं तोड़ पाई है। कांग्रेस हर बार प्रत्याशी बदल-बदल कर उतार रही है, लेकिन फिर भी सीट हाथ नहीं आ रही। कांग्रेस ने जहां दो बार हार चुके प्रत्याशी को एक बार फिर टिकट दिया है, वहीं भाजपा ने परिवारवाद को खत्म कर नया प्रत्याशी मैदान में उतारा है। अब देखना है कि भाजपा प्रत्याशी भोरंज में अपनी लीड बरकरार रखता है या फिर कांग्रेस अपना खाता खोलने में सफल रहती है। हालांकि अब चुनावी समीकरण पूरी तरह से बदल चुके हैं। छह बार कांग्रेस को धूल चटाने वाले पूर्व मंत्री ईश्वर दास धीमान अब स्वर्ग सिधार चुके हैं। उनके बेटे डा. अनिल धीमान राजनीति में ज्यादा रुचि नहीं रखते थे, लेकिन जब से उन्होंने उपचुनाव जीता है, वह राजनीति में सक्रिय हो गए हैं। कांग्रेस को चुनावों में बार-बार प्रत्याशी बदलने से कोई सफलता नहीं मिल रही। इसके लिए कांग्रेस की आपसी कलह भी कुछ हद तक जिम्मेदार है। हालांकि भाजपा ने बड़ा फेरबदल कर नारी शक्ति कमलेश कुमारी को टिकट दिया है, वहीं कांग्रेस ने पुराने प्रत्याशी सुरेश कुमार पर ही एक बार फिर विश्वास जताया है। पिछले उपचुनाव की तरह ही इस बार भी पांच प्रत्याशी मैदान में हैं। हालांकि इस बार भाजपा और कांग्रेस के लिए राहत की खबर यह है कि पार्टी से चुनाव में कोई भी बागी प्रत्याशी मैदान में नहीं उतरा है।
हलके में अब तक इन्होंने मारी बाजी
वर्ष विजयी/पार्टी हारा/पार्टी
1962 रूप सिंह फुल्ल/निर्दलीय रूप सिंह/कांग्रेस
1967 अमर सिंह चौधरी/जनसंघ रूप सिंह फुल्ल/कांग्रेस
1972 चौधरी धर्म सिंह/कांग्रेस अमर सिंह चौधरी/जनसंघ
1977 अमर सिंह/जनता पार्टी चौधरी धर्म सिंह/कांग्रेस
1982 चौधरी धर्म सिंह/कांग्रेस अमर सिंह/भाजपा
1987 चौधरी धर्म सिंह/कांग्रेस अमर सिंह/भाजपा
1992 ईश्वरदास धीमान/भाजपा चौधरी धर्म सिंह/कांग्रेस
1998 ईश्वरदास धीमान/भाजपा प्रेम कौशल/कांग्रेस
2003 ईश्वरदास धीमान/भाजपा सुरेश कुमार/कांग्रेस
2008 ईश्वरदास धीमान/भाजपा सुरेश कुमार/कांग्रेस
2013 ईश्वरदास धीमान/भाजपा डा. रमेश डोगरा/कांग्रेस
2017 डा. अनिल धीमान/भाजपा प्रोमिला/कांग्रेस
कभी नहीं हारे आईडी धीमान
17 नवंबर, 1934 को जन्में स्व. ईश्वर दास धीमान 1990 में पहली बार विधायक बने थे। तब से लेकर स्वर्ग सिधारने तक लगातार विधायक चुने गए। 1998 से 2003 तक बतौर शिक्षा मंत्री भी उन्होंने जिम्मा संभाला। हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल का पैतृक गृह क्षेत्र भी भोरंज के समीरपुर गांव में पड़ता है। इसके अलावा कांगे्रस के प्रदेशाध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू का भी यह गृह जिला है।
उपचुनाव था सेमीफाइनल
भोरंज क्षेत्र का उपचुनाव मौजूदा चुनावों से पहले भाजपा व कांगे्रस का सेमीफाइनल माना जा रहा था। चुनाव जीतने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने पूरी ताकत झोंक दी थी। क्योंकि उपचुनाव को नवंबर-दिसंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले विशेष तवज्जो दी जा रही थी। इसके बाद ही हिमाचल की राजनीति में अगली सत्ता की दशा व दिशा निर्भर करनी थी। 1985 के बाद आज तक कांग्रेस इस सीट पर जीत हासिल नहीं कर पाई है।
75719 वोटर करेंगे फैसला
भोरंज पहले मेवा विधानसभा क्षेत्र हुआ करता था। 1967 से 2012 तक हुए 11 चुनाव में छह बार भाजपा, तीन बार कांग्रेस व एक-एक बार जनसंघ व जनता पार्टी का कब्जा रहा है। भोरंज चुनावों में महिलाओं की अहम भूमिका रहेगी। क्षेत्र में 75719 मतादाताओं में 38205 महिलाएं और 37515 पुरुष हैं। मतदान में कुल 99 पोलिंग बूथ हैं, जिनमें 80 सामान्य, सात संवदेनशील तथा 12 अतिसंवेदनशील हैं।
Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also, Download our Android App