राफेल विमान सौदे में घोटाले की बू

By: Nov 15th, 2017 12:10 am

यूपीए 54 हजार करोड़ में ले रही थी 126 विमान, मोदी ने 36 पर खर्च किए 60 हजार करोड़

नई दिल्ली —  कांग्रेस ने मोदी सरकार पर राफेल लड़ाकू विमान खरीद सौदे में सभी नियमों को ताक पर रखने का आरोप लगाते हुए मंगलवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने उद्योगपति मित्र के लिए देश की सुरक्षा से तो समझौता किया ही है, साथ ही इससे सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचेगा और इस सौदे से घोटाले की बू आ रही है। कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि श्री मोदी ने दो साल पहले फ्रांस यात्रा के दौरान रक्षा खरीद नियमों की परवाह किए बिना 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीद की मंजूरी दी थी। उन्होंने आरोप लगाया कि इस सौदे में किसी भी तरह की पारदर्शिता नहीं थी और इस मौके पर न तो रक्षा मंत्री मौजूद थे और न ही इसके लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल की सुरक्षा मामलों की समिति तथा अन्य एजेंसियों की मंजूरी ली गई। इस सौदे में सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचने का दावा करते हुए उन्होंने कहा कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार ने वर्ष 2012 में फ्रांस से मात्र 54000 करोड़ रुपए की लागत से 126 राफेल विमान खरीदने का सौदा किया था और इसमें भारतीय एयरोस्पेस कंपनी हिंदोस्तान एयरोनोटिक्स लिमिटेड (एचएएल) को प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के लिए भी समझौता किया गया था, लेकिन मोदी सरकार ने बिना प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के प्रावधान के ही केवल 36 विमान 60 हजार करोड़ रुपए की भारी-भरकम राशि में खरीदने को मंजूरी दी। यूपीए सरकार ने जो सौदा किया था, उसमें एक विमान की कीमत 526.1 करोड़ रुपए थी, जबकि मोदी सरकार ने जो सौदा किया है, उसमें एक विमान की कीमत 1570.8 करोड़ रुपए पड़ रही है। इससे सरकारी खजाने को भारी नुकसान पहुंच रहा है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने यूपीए सरकार के समझौते को रद्द कर दिया और देश के एक प्रमुख उद्योगपति की कंपनी रिलायंस डिफेंस लिमिटेड को सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी एचएएल की कीमत पर फायदा पहुंचाया। इस कंपनी को रक्षा क्षेत्र में काम करने का कोई अनुभव नहीं है। उन्होंने सवाल किया कि विमान खरीद में सबसे अहम मुद्दा प्रौद्योगिकी हस्तांतरण का था, लेकिन मोदी सरकार ने इसकी परवाह ही नहीं की। इसका सबसे खराब पहलू यह है कि यदि विमान में कुछ खराबी आ गई तो उसे ठीक कराने के लिए फ्रांस ही ले जाना पड़ेगा और यह सौदा बहुत महंगा साबित होगा। प्रवक्ता ने कहा कि श्री मोदी को बताना चाहिए कि एचएएल के साथ प्रौद्योगिकी हस्तांतरण जैसे अहम समझौते को किस आधार पर नजरअंदाज किया गया है। उन्होंने यह भी पूछा कि फ्रांस की कंपनी के साथ रिलायंस डिफेंस लिमिटेड ने राफेल की आपूर्ति के लिए संयुक्त उपक्रम बनाया तो इसके लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल, सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति तथा विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड से अनुमति क्यों नहीं ली गई। उन्होंने कहा कि फ्रांस के साथ इस समझौते को हुए कई महीने बीत चुके हैं, लेकिन अब तक एक भी विमान देश की धरती पर नहीं उतरा है। जिस तरह के हालात हैं और उन्हें जो सूचना मिली है, उसके आधार पर इस सरकार के कार्यकाल तक एक भी विमान भारत नहीं पहुंच रहा है।


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