वानकुफर से स्कूल तक ही सिमटी जांच

शिमला – हिमाचल के सबसे सनसनीखेज कोटखाई गैंगरेप व मर्डर मिस्ट्री मामले में सीबीआई के हाथ पांच महीने बाद भी खाली हैं। क्योंकि असल आरोपी अभी भी जांच एजेंसी की पकड़ से बाहर दिख रहे हैं। हालांकि दावा यही है कि सीबीआई द्वारा इस मामले में 90 फीसदी जांच पूरी कर ली गई है। सीबीआई की अब तक की जांच छात्रा के स्कूल से लेकर वानकुफर जंगल तक सिमटती जा रही है। इसी कड़ी में सीबीआई द्वारा उस मास्टर से भी बार-बार पूछताछ की जा रही है, जिसके बारे में यह कहा जा रहा है कि गाहे-बगाहे छात्रा व उसका भाई घर की तरफ मास्टर के साथ जाते थे। हालांकि घटना के रोज मास्टर देर से घर गया था। सवाल ये है कि छात्रा के साथ यह घिनौना अपराध किया किसने और उसके सबूत क्यों नहीं मिल पा रहे। जो सुराग फोरेंसिक जांच के दौरान मिले थे, उनके जरिए जांच एजेंसी असल गुनाहगारों तक क्यों नहीं पहुंच पा रही। पूरा प्रदेश, राजनीतिक गलियारें यहां तक कि पुलिस अधिकारी व जवान भी इस अबूझ पहेली के सुलझने के इंतजार में हैं। सूत्रों की मानें तो लगता नहीं कि 20 दिसंबर तक भी सीबीआई उन दरिंदों तक पहुंच पाएगी। इससे पहले कयास यह भी थे कि पांच आरोपियों के नार्को टेस्ट से कोई बड़े खुलासे हो सकते हैं, मगर चार्जशीट में ऐसा भी कोई सबूत नहीं मिल पा रहा कि आरोपियों ने जांच एजेंसी की कोई बड़ी मदद की हो या वे इस मामले में संलिप्त रहे हों। इस पूरे मामले में सबसे बड़ा भेद मोबाइल रिकार्ड खोल सकते हैं, जिनके बारे में न तो जांच एजेंसी से जुड़े सूत्र, न ही पुलिस विभाग का कोई अधिकारी बोलता दिख रहा है। दावा यही है कि प्रदेश उच्च न्यायालय में यह तमाम रिकार्ड पेश होगा। फिर सवाल यही उठता है कि बातचीत का रिकार्ड होना व घटना के आसपास मोबाइल कांटेक्ट भी असल गुनाहगारों का सुराग नहीं दे पाएंगे। घटना के रोज गांव में बाहरी कौन लोग आए थे, क्या उस दौरान क्षेत्र में चिरानी या फिर कोई अन्य अस्थायी काम-धंधे की तलाश में तो नहीं पहुंचे थे। इस बारे में भी जांच एजेंसी को कोई जानकारी नहीं मिल पाई है।