श्रीगंगानगर में ही चाहिए जमीन

By: Nov 17th, 2017 12:10 am

जवाली —  प्रदेश पौंग बांध विस्थापित समिति की प्रदेश स्तरीय बैठक विश्राम गृह जवाली में प्रदेशाध्यक्ष हंस राज चौधरी की अध्यक्षता में संपन्न हुई। इसमें पौंग बांध विस्थापितों की समस्याओं को लेकर विचार-विमर्श किया गया तथा आगामी रणनीति तैयार की गई। हंस राज चौधरी ने कहा कि पौंग बांध निर्माण के समय पौंग विस्थापितों को मूलभुत सुविधाओं से लैस जमीन श्रीगंगानगर में देने का वादा किया गया था, लेकिन विस्थापन के 46 वर्ष बीत जाने के उपरांत भी विस्थापितों का दर्द कम नहीं हुआ है। विस्थापितों को आज भी मूलभूत सुविधाओं से लैस मुरब्बे श्रीगंगानगर में नहीं मिल पाए हैं। राजस्थान सरकार द्वारा विस्थापितों की मांगों को अनसुना किया जाता है और विस्थापितों को शोषण का शिकार होना पड़ता है। हंस राज चौधरी ने कहा कि हाल ही में विस्थापितों को रामगढ़, मोहनगढ़, जैसलमेर व नाचना इत्यादि जगहों पर मुरब्बे दिए जा रहे हैं, जो कि भारत-पाक की सीमा पर हैं। वहां पर जाने के लिए पहले विस्थापितों को परमिशन लेनी पड़ती है। इसी के साथ उक्त जमीनों में कोई भी मूलभूत सुविधा नहीं है। दूर-दूर तक न तो सड़क, न स्कूल, न बिजली और न ही पानी की कोई सुविधा है। ऐसे में उक्त जगहों पर गुजर-बसर करना काफी मुश्किल होगा। चेयरमैन हाई पावर कमेटी एवं सचिव जल संसाधन मंत्रालय भारत सरकार की फतेहपुर में आयोजित बैठक में विस्थापितों को 46 वर्ष के उत्पीड़न व शोषण का मुआवजा करीब साढ़े तीन करोड़ रुपए दिए जाने की मांग पौंग बांध विस्थापितों ने उठाई थी और श्रीगंगानगर में प्रचलित मुरब्बे की कीमत या पांच करोड़ रुपए दिए जाएं। इसी के साथ सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया गया कि जल्द ही पौंग विस्थापित समिति जिलाधीश राहत एवं पुनर्वास राजा का तालाब के साथ मिलेगी, जिसके लिए तीन दिसंबर को विश्राम गृह जवाली में बैठक होगी। इस मौके पर प्रदेश उपाध्यक्ष प्यारे लाल, महासचिव हुकम चंद गुलेरी, एमएम चौधरी, एचसी गुलेरी, रमेश चंद्र,  रविंद्र कुमार, आरपी वर्मा, नंद किशोर, मदन लाल व सुरेश कुमार इत्यादि मौजूद रहे।


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